नई दिल्ली. भैंस पलकों की एक सामान्य समस्या यह है कि उसे बच्चा दिए हुए 3 महीने से ज्यादा हो गया है लेकिन फिर भी वह दोबारा हीट में नहीं आई है. जबकि एक्सपर्ट कहते हैं कि भैंस के अल्ट्रासाउंड से यह पता चला है कि बच्चा देने के 1 महीने बाद ही 40% भैंस हीट में आ जाती हैं. जबकि 15% भैंस 60 दिन में, 18% भैंस 90 दिन में और 25% भैंस 30 से 60 दिन में गर्मी में आ जाती है. इसका मतलब यह हुआ कि बच्चा देने के बाद 80% भैंस 3 महीने के अंदर ही हीट में आ जाती हैं लेकिन भैंस के हीट के जो लक्षण होते हैं वो बहुत हल्के होते हैं. इसलिए किसानों को इसके बारे में जानकारी नहीं हो पाती है.
इन लक्षणों से करें पहचान
एक्सपर्ट कहते हैं कि गाय से भैंस की तुलना की जाए तो इसमें गर्मी के लक्षण बहुत ही हल्के होते हैं. इसकी पहचान गाय की तरह नहीं की जानी चाहिए. इसकी पहली पहचान यह है कि जब भैंस हीट में आती है तो राम्भाती बोलती है. जब भैंस बैठे तो पीछे जाकर यह देखना चाहिए कि वह भैंस तार दे रही है या आसपास के जमीन तार से गिरी तो नहीं है. यह कई बार भैंस के पिछले हिस्से और दुम पर छिपकी रहती है. गर्मी में आने पर भैंस बार-बार पेशाब भी करती है. पूंछ ऊपर उठा कर रखती है और इसकी बाहरी योनि पर सूजन जैसा भी आ जाता है.
हीट में आने से पहले के संकेत
गर्मी में आई भैंस ज्यादा चंचल और चौकन्नी हो जाती है. चारा कम खाती है ताकि इससे उसका दूध भी घट जाता है. यदि भैंस को बांधकर नहीं रखा जाता तो वह दूसरे पशुओं पर चढ़ने लगती है. कुछ भैंस हीट में आने से पहले डोका करती हैं. दूध निकालने के बाद भी अगर भैंस डोका कर रही है तो समझ लेना चाहिए कि दो-तीन दिन में वह हीट में आने वाली है. इसके बाद पशु चिकित्सा के पास ले जाकर भैंस की जांच कराकर टीका कराना चाहिए. यदि जांच नहीं करवा पाते हैं या टीका नहीं लगवा पाते हैं तो अपने घर के कैलेंडर पर डेट पर निशान लगा दें. इसके बाद 21 में दिन पर फिर वही लक्षण दिखाई दे तो हीट को निश्चित मानकर टीका जरूर लगवाएं.
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