Home पशुपालन Fodder Maize: पोल्ट्री और एनिमल फीड की ताकत बनेगी मक्का की ये वैराइटी, पढ़ें इसकी खासियत
पशुपालन

Fodder Maize: पोल्ट्री और एनिमल फीड की ताकत बनेगी मक्का की ये वैराइटी, पढ़ें इसकी खासियत

livestock animal news
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. भारत जैसे देश में पशुओं के लिए चारे की कमी एक बड़ी समस्या है. जहां पशुओं के लिए चारे की कमी है तो वहीं पोल्ट्री फार्मिंग में फीड की कमी से भी फॉर्मर्स जूझ रहे हैं. बता दें कि पोल्ट्री फार्मिंग हो या फिर पशुपालन दोनों में ही फीड पर खर्च ज्यादा आता है. पोल्ट्री फार्मिंग में फीड के तौर पर मक्का का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है लेकिन इसकी भी कमी है. ऐसे में अफ्रीकी लंबा मक्का जहां मुर्गियों को दिये जाने वाले फीड में एक बेहतरीन आप्शन है तो वहीं इसका हरा पार्ट पशुओं के लिए एक बेहतरीन चारा है. हो सकता है कि आपको इसकी जानकारी न हो, आइए इसके बारे में जानते हैं.

अफ्रीकी लंबा मक्का एक हरा चारा फसल है जो अपने उच्च शुष्क पदार्थ और प्रोटीन सामग्री के लिए उगाया जाता है, और अक्सर पशु आहार के रूप में उपयोग किया जाता है. इसे चारा मक्का के रूप में भी जाना जाता है. अफ्रीकी लंबा मक्का के बारे में जानने के लिए कुछ बातें यहां दी गई हैं. जिसे आप जरूर जानना चाहेंगे.

इस टेंप्रेचर में तेजी बढ़ती है फसल
एक्सपर्ट कहते हैं कि अफ्रीकी लंबा मक्का 20 डिग्री सेल्सियस और 35 डिग्री सेल्सियस के बीच के तापमान में सबसे अच्छा बढ़ता है. यह 9-11 फीट लंबा हो सकता है. इसकी कटाई की बात की जाए तो ये फसल बुवाई के 60-75 दिनों के बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है, जब भुट्टा दूधिया अवस्था में होता है तो चारे के लिए, इसे रेशमी अवस्था से लेकर नरम दूध वाली अवस्था तक काटा जा सकता है. उपज की बात करें तो हरे चारे की औसत उपज 12-16 टन प्रति एकड़ है. जबकि सिंचित परिस्थितियों में, उपज लगभग 40-45 टन प्रति हेक्टेयर हो सकती है.

कैसे किया जा सकता है इस्तेमाल
अफ्रीकी लंबा मक्का हरे चारे, साइलेज, स्टैक और मक्के के आटे के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. यह गायों, भैंसों, बकरियों और भेड़ों के लिए एक अच्छा चारा है. अफ्रीकी लंबा मक्का की उच्च ऊर्जा और प्रोटीन सामग्री दूध उत्पादन को बढ़ा सकती है और दूध की गुणवत्ता में सुधार कर सकती है. मिट्टी अफ्रीकी लंबा मक्का मध्यम से भारी, गहरी, रेतीली, अच्छी तरह से सूखा हुआ मिट्टी में सबसे अच्छा बढ़ता है, और इसमें अधिक कार्बनिक पदार्थ और पानी धारण करने की क्षमता होती है. सिंचाई बरसात के मौसम में हर 10-15 दिन और गर्मियों में हर 6-8 दिन में सिंचाई करनी चाहिए.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

livestock
पशुपालन

Animal News: बढ़ गई है खानदानी गाय-भैंस और भेड़-बकरी की संख्या, 10 नई नस्लें रजिस्टर्ड, पढ़ें डिटेल

बुंदेलखंडी बकरी का एक नस्ल के रूप में पंजीकरण, रिसर्च कोशिशों को...

buffalo calving
पशुपालन

Animal Husbandry: इस वजह से लटकता है बछड़ी का पेट, यहां जानें कैसे किया जा सकता है इसका इलाज

एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि कई बार जब बछड़ी पैदा होती है...