नई दिल्ली. किसानों की ये समस्या होती है कि उनके पशु क्षमता से कम दूध देते हैं. जबकि वो उतने तंदुरुस्त भी नहीं है. स्वाभाविक है कि ऐसे में पशु पालकों को नुकसान होगा ही. हालांकि ये क्यों होता है, इसकी सबसे मुख्य वजह पशुओं को सालभर न मिलने वाला प्रोटीन और उच्चगुणवत्ता युक्त चारा है. जबकि किसानों को पता नहीं होता है कि वो पूरे साल पशुओं को कैसे गुणवत्ता युक्त चारा दें कि उनका पशु अधिक दूध का उत्पादन करे और उनके पशु तंदुरुस्त भी रहें. किसानों को कुछ मुख्य बातें ध्यान में रखनी चाहिए.
सूखा और हरा चारा मिलाकर दें
चारे की नई-नई किस्म की अच्छी गुणवत्ता वाले बीज बोने चाहिए. कृषि जलवायु के अनुकूल बहू वर्षीय कई बार काटने वाली चारा फसले लगानी चाहिए. मिश्रित फसल उगाने के साथ ही सूखा और हरा चारा मशीन से कटकर या मिलकर पशुओं को खिलाएं और साइलो बंकर मैं गर्मियों के लिए साइलेज बनाकर रखें. जरूरत पड़ने पर स्थानीय चारा विशेषज्ञों से भी बातचीत करें और उनसे चारा उगाने के तरीकों के बारे में पूछें. एक्सपर्ट कहते हैं कि अधिक पैदावार के लिए हमेशा ही अच्छी क्वालिटी का प्रमाणित, सत्यापित बीजों का इस्तेमाल करना चाहिए.
कब कौन सी फसल लगाएं
बरसीम के लिए वरदान और बीएल 1, आनंद 2 आनंद लूसर्न 3, ज्वार की पंतचरी 5, एचजे 513, मक्का की अफ्रीकन टाल 513, जे 1006, आदि का इस्तेमाल करना चाहिए. वर्ष भर हरा चारा उत्पादन के लिए साल में 7 से 8 बार बहुवर्षीय चार फैसले जैसे संकर नेपियर घास को-4 बीएनएच 10 और गिनी घास की को-2 आदि का इस्तेमाल करें. खेत खलियानों पर मोरिंगा, ग्लिरिसीडिया, शिवरी अवस्थी और खेजड़ी आदि के पेड़ लगाना चाहिए. कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार अधिक उत्पादन देने वाले चार फसल चक्र को अपनाना चाहिए. ताकि सीमा जमीन पर हरे चारे की पैदावार ज्यादा हो. जैसे संकर नेपियर घास के साथ गर्मियों में लोबिया या सर्दियों में बरसीम या रिजका लगाना चाहिए.
साइलेज बनाकर संरक्षित कर लें.
गर्मियों में मक्का और लोबिया खरीफ में ज्वार और लोबिया, रबी में बरसीम या रिजका के साथ चाइनीस कैबेज की मिश्रित फैसले लगानी चाहिए. जिससे पशुओं को ज्यादा प्रोटीन और ऊर्जा योग्य चारा मिलेगा और महंगे पशु आहार की बचत होगी. सूखा और हरा कूटा हुआ चारा मिलकर पशुओं को खिलाने से पशुओं की पाचन प्रक्रिया अच्छी रहती है. बर्बादी भी कम होती है. खेतों से अतिरिक्त मात्रा में उपलब्ध मक्का, ज्वार जैसी फसलों का साइलेज बनाकर बनाकर संरक्षित कर लें.
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