नई दिल्ली. देश में नॉन वेजिटेरियन लोगों के बीच में रेड मीट सबसे ज्यादा लोकप्रिय है और ज्यादातर मांसाहारी लोग अपनी डेली की डाइट में रेड मीट को शामिल करते हैं. जबकि कई लोग इसे स्वास्थ्य के लिए अच्छा तो कई लोग इसे बुरा मानते हैं. जिस वजह से अक्सर रेड मीट को लेकर शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव के संबंध में रिसर्च होती है. क्या वाकई में रेड मीट स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है या फिर फायदेमंद है आईए जानते हैं.
क्या होता है रेड मीट
सबसे पहले जान लेते हैं कि रेड मीट होता क्या है. रेड मीट स्तनधारी प्रजातियों के मांस को कहा जाता है. जिसमें बीफ, पोर्क भेड़ आदि शामिल है. इसमें प्रोटीन, आयरन, जिंक, विटामिन डी और ओमेगा 3 फैटी एसिड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. ये शरीर के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है. इसमें भारी मात्रा में फैट और कोलेस्ट्रॉल भी पाया जाता है, जो ब्लड प्रेशर हृदय रोग मोटापा और कई प्रकार की बीमारियों को दावत देता है.
अमेरिका में की गई थी रिसर्च
पिछले साल हुई अमेरिका की एक रिसर्च में टीम ने लाखों लोगों पर रिसर्च करके रेड मीट को लेकर अलग-अलग आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की थी. अमेरिका में स्थित इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन ने वहां के 180 इलाकों में लोगों पर रिसर्च किया था. इसमें बताया गया कि अनप्रोसेस्ड रेड मीट के ज्यादा सेवन का स्ट्रोक के साथ कोई मजबूत रिश्ता नहीं है. इसका मतलब यह है कि अगर कोई व्यक्ति अनप्रोसेस्ड रेड मीट का रोज सेवन करता है तो जरूरी नहीं है कि उसे स्ट्रोक का खतरा होगा.
स्ट्रोक का नहीं है खतरा
टीम ने काफी मात्रा में रेड मीट खाने से स्ट्रोक होने के खतरों को सिर्फ एक स्टार दिया था. जिसका मतलब ये है कि अनप्रोसेस्ड का स्ट्रोक से कोई संबंध नहीं है. वहीं रेड मीट खाने से पेट का कैंसर, स्तन कैंसर, हृदय रोग और डायबिटीज होने के जोखिम को दो स्टार की रेटिंग दी गई. हालांकि रिसर्च में रेड मीट जैसी कई खान-पान की चीजों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाली प्रभावों को सिर्फ एक या दो स्टार रेटिंग मिली. इसका मतलब है कि इन चीजों से बीमारी बढ़ने का खतरे का कोई खास सबूत नहीं है. जबकि यह लोगों की अपनी धारणाओं की विपरीत है.
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