नई दिल्ली. भारतीय अर्थव्यवस्था में मत्स्य पालन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह राष्ट्रीय आय, निर्यात, खाद्य और पोषण सुरक्षा के साथ-साथ रोजगार सृजन में योगदान देता है. यही वजह है कि मत्स्य पालन क्षेत्र को ‘सनराइज सेक्टर’ के रूप में मान्यता मिली है. ये देश में लगभग 30 मिलियन लोगों, विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले और कमजोर समुदायों की आजीविका को बनाए रखने में मददगार भी है. यही वजह है कि मत्स्य पालन विभाग को इस बजट में 2024-25 के लिए 2584.50 करोड़ रुपये की राशि दी गई है जो मत्स्य पालन विभाग के लिए अब तक का सबसे अधिक वार्षिक आवंटन है. बताया गया कि बजटीय आवंटन चालू वित्तीय वर्ष की तुलना में 15% ज्यादा है.
प्रोडक्शन हो गया है दोगुना
गौरतलब है कि पहली पंचवर्षीय योजना से 2013-14 तक और 2014-15 से 2023-24 तक 3680.93 करोड़ रुपये की राशि दी गई थी. जबकि देश में विभिन्न मत्स्य विकास गतिविधियों के लिए 6378 करोड़ रुपये पहले ही जारी किए जा चुके हैं. वहीं इस क्षेत्र में पिछले नौ वर्षों में 38572 करोड़ का निवेश हुआ है जो इस ओर इशारा करता है कि ये सेक्टर तेजी के साथ आगे बढ़ा है. वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अंतरिम बजट में अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने के लिए डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की स्थापना पर भी जोर दिया गया है. केंद्रीय वित्त मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि मछुआरों की सहायता के महत्व को समझने के लिए एक अलग मत्स्य पालन विभाग की स्थापना की गई थी, जिसके चलते 2013-14 के बाद से आईलैंड और जलीय कृषि प्रोडक्शन दोगुना हो गया है. समुद्री खाद्य निर्यात दोगुना हो गया है.
भारत सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश बना
वित्त वर्ष 2022-23 में 175.45 लाख टन के रिकॉर्ड मछली उत्पादन के साथ, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, जो वैश्विक उत्पादन का 8% हिस्सा है और देश के ग्रास वैल्यू एडेड (जीवीए) में लगभग 1.09% और 6.724% से अधिक का योगदान देता है. इस क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं हैं. इसलिए टिकाऊ, जिम्मेदार, समावेशी और न्यायसंगत विकास के लिए नीति और वित्तीय सहायता के माध्यम से ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है.
नई ऊंचाइयां हासिल करने के लिए तैयार
5 फरवरी 2019 को पूर्ववर्ती पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग से मत्स्य पालन विभाग को अलग करके मत्स्य पालन क्षेत्र को आवश्यक बढ़ावा दिया गया था और इसे प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई), मत्स्य पालन बुनियादी ढांचे जैसे गहन योजनाओं और कार्यक्रमों से सुसज्जित किया गया है. विकास निधि (एफआईडीएफ) और किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी), विभाग अब अमृत काल में नई ऊंचाइयां हासिल करने के लिए तैयार है.
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