नई दिल्ली. मौजूदा दौर में बहुत से किसान पशुपालन से भी जुड़े हुए हैं और पशुओं से दूध हासिल करके अच्छी खासी इनकम कमा रहे हैं. जो पशुपालक दूध बेचते हैं. वह पब्लिक तक जाता है ऐसे में पशुओं के बारे में पशुपालकों को एक्सपर्ट कुछ हिदायत देते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि पशुपालक को हमेशा ही दूध देने वाले पशुओं के संबंधित कुछ सावधानियां बरतना चाहिए. ताकि आम लोगों तक साफ और बेहतर क्वालिटी का दूध पहुंच सके.
यदि पशुओं में किसी तरह की बीमारी होगी या फिर दूध दुहाई के समय कुछ लापरवाही बढ़ती गई, मतलब बैक्टीरिया या अन्य धूल कण दूध में चले गए. इससे दूध खराब हो जाता है. जबकि इसके पीने वाले को इसका नुकसान उठाना पड़ता है. इसलिए पशुओं के साथ-साथ दूध दुहते वक्त भी सावधानी बरतना जरूरी होता है.
-दूध देने वाले पशु पूरी तरह से स्वस्थ होने चाहिए. टीबबी थनैला आदि बीमारी नहीं होना चाहिए. पशु की जांच समय-समय पर पशु चिकित्सा करना चाहिए.
-दूध दुहने से पहले पशु के शरीर की अच्छी तरह से सफाई होनी चाहिए. दुहाई से पहले पशु के शरीर करेरा करके चिपका हुआ.
-गोबर धूल का कीचड़ घास आदि साफ कर लेना चाहिए. खास तौर से शरीर पशु के शरीर के पीछे हिस्से पेट और पेट के निचले हिस्से को साफ करना चाहिए.
-दूध दुहने से पहले आयन की सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए. थनों को किसी जीवाणु नाशक गोल के भीगे के कपड़े से पोछ लेना चाहिए.
-यदि किसी थन से कोई बीमारी है तो उसे दूध नहीं लेना चाहिए.
-दूध दुहने से पहले स्थान को दो-चार दूध की धारा जमीन पर गिरा लें या फिर बर्तन में इकट्ठा करना चाहिए.
-पशु बाड़े व खड़े होने का स्थान पर्याप्त साफ-सफाई होनी चाहिए.
-फर्श यदि संभव हो तो पक्का होना चाहिए. कच्चा हो तो समतल हो. उसमें गड्ढे आदि ना हों मूत्र पानी निकालने की व्यवस्था होनी चाहिए.
-दूध दुहने से पहले पशु के चारो ओर सफाई कर देनी चाहिए. गोबर पेशाब बिछावन दुहाई से पहले हटा देना चाहिए.
-दूध निकलने वाली जगह की दीवारें छत आदि साफ होनी चाहिए. उनको चूने से पुताई करवा लेनी चाहिए. फर्श की फिनाएल से धुलाई 2 घंटे पहले कर लेनी चाहिए.
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