Home मछली पालन Fisheries: सर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम के तहत इस राज्य में बनाए जाएंगे 15 तालाब, पढ़ें क्या होगा फायदा
मछली पालन

Fisheries: सर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम के तहत इस राज्य में बनाए जाएंगे 15 तालाब, पढ़ें क्या होगा फायदा

Fisheries,Fish Farming, Fish Farming Centre, CMFRI
मछलियों की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. हिमाचल प्रदेश में साल 2025 तक वे सर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस ) तकनीक का इस्तेमाल करते हुए 15 भूमि आधारित मछली तालाब स्थापित करने के लिए तैयार हैं. जानकारी के मुताबिक यह पहल 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का हिस्सा भी है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ऊना, मंडी और सुरमा और जिलों में सामान्य जल क्षेत्र में पांच तालाब का निर्माण होगा. जिसमें से हर का अनुमानित वार्षिक उत्पादन 40 मीट्रिक टन है.

पहली दो सुविधाओं का निर्माण चालू रीति वर्ष में होने की बात कही जा रही है. इसके अलावा अगले 5 वर्षों में किन्नौर, सिरमौर, शिमला, मंडी, चंबा और कुल्लू जिलों में पहले ठंडे पानी में क्षेत्र में भी 10 तालाब स्थापित किए जाने की योजना है. जिसका लक्ष्य हर तालाब से 4 एमटी से 10 एमटी तक वार्षिक उत्पादन है.

​मछली किसानों को दी जाएगी ट्रेनिंग
हिमाचल प्रदेश का मत्स्य पालन विभाग इन 15 तालाबों से हर साल लगभग 270 मीट्रिक टन मछली के उत्पादन का अनुमान लगा रहा है. इंद्रधनुष ट्राउट की खेती ठंडे पानी में की जाएगी. जबकि पैंगासियस, तिलापिया और सामान्य कार्प की खेती सामान्य पानी में की जाएगी. इस पहल में शामिल किसानों को राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड द्वारा आयोजित ट्रेनिंग सत्र में ट्रेंड किया जाएगा और इस नई टेक्नोलॉजी को बताते हुए ठंडे पानी की जलीय कृषि के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे. राज्य सरकार निर्माण व्यय के लिए वित्तीय सहायता देने के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने का इरादा रखती है.

पूरे साल मछली किसान रहेंगे सशक्त
इस नहीं टेक्नोलॉजी के शुरू होने से वर्ष भर के कार्यों का सक्षम बनाकर स्थानीय मछली किसानों को सशक्त करने की बात कही जा रही है. खास तौर से गर्मियों के महीने में पानी की कमी के दौरान ऐसा होगा. इसके अलावा टेक्नोलॉजी मौसम की स्थिति से प्रभावित मछली की निरंतर वृद्धि सुरक्षित करती है. जिससे किसानों के लिए एक स्थिर आय के स्त्रोत का वादा किया जाता है. वादा किया जाता है।

Written by
Livestock Animal News

लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (livestockanimalnews.com) एक डिजिटल न्यूज प्लेटफार्म है. नवंबर 2023 से ये लगातार काम कर रहा है. इस प्लेटफार्म पर एनिमल हसबेंडरी () यानि मुर्गी पालन, डेयरी (), गाय-भैंस, भेड़-बकरी, घोड़ा, गधा, मछली और पशुपालन, चारा, पशु चिकित्सा शि‍क्षा से जुड़ी खबरें पढ़ने को मिलती हैं. ऐग और चिकन के रोजाना बाजार भाव भी इस प्लेटफार्म पर प्रकाशि‍त किए जाते हैं. नेशनल मीडिया जैसे न्यूज18 हिंदी, हिन्दुस्तान, अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर में काम कर चुके पत्रकार (रिर्पोटर) की टीम लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के लिए खबरें और स्टोरी लिखती है. केन्द्र सरकार के Poultry, Cow, Buffalo, Goat, Sheep, Camel, Horse (Equine), Fisheries, Donkey, Feed-Fodder and Dairy रिसर्च इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट से बात कर उनकी रिसर्च पर आधारित न्यूज-स्टोरी लिखी जाती हैं. इसके साथ ही लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज प्लेटफार्म पर एनिमल साइंस और वेटरनरी कॉलेज-यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और एक्सपर्ट से बात करके खबरें लिखी जाती हैं और उनके लिखे आर्टिकल भी पब्लिूश किए जाते हैं. ये सभी स्टोरी और स्टोरी से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया फेसबुक, यूट्यूब (YouTube), इंस्टाग्राम, एक्स (ट्विटर) और लिंक्डइन पर शेयर किए जाते हैं. पशुपालकों की सक्सेट स्टोरी लिखी जाती हैं. उसी सक्सेस स्टोरी के वीडियो बनाकर उन्हें लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के यूट्यूब चैनल पर पब्लिैश किया जाता है. अंग्रेजी में भी न्यूज और आर्टिकल पब्लिाश किए जाते हैं. लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज पशुपालन, मछली पालन, मुर्गी पालन और डेयरी से जुड़े विषयों पर होने वाली सेमिनार, वर्कशॉप और एक्सपो को भी कवर करता है. साथ ही एनिमल हसबेंडरी मंत्रालय से जुड़ी खबरें भी कवर करता है. बाजार में आने वाले नए प्रोडक्ट की जानकारी भी इस प्लेटफार्म पर दी जाती है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

how to treat a fish ulcer
मछली पालन

Fish: मछली बीज का ज्यादा उत्पादन लेने के लिए पढ़ें एक्सपर्ट की ये सलाह

मत्स्य बीज पक्षेत्र सुनारू फतुहा पटना के सहायक मत्स्य निदेशक डॉ. टुनटुन...

fish farming in pond
मछली पालन

Fish Farming: बरसात में तालाब के अंदर अमोनिया और नाइट्रेट का असर कम करने के लिए करें ये काम

तालाब के अंदर फंगेसियास और मांगुर जैसी मछलियां बहुत ज्यादा बीट करती...