नई दिल्ली. भारत से आज के दौर में भैंस का मांस एक्सपोर्ट लगातार बढ़ता ही जा रहा है. अमेरिकी कृषि विभाग की विदेशी कृषि सेवा द्वारा जारी एक रिपोर्ट पर गौर करें तो वर्ष 2024 में भैंस मीट का प्रोडेक्शन और एक्सपोर्ट करने वालों के लिए बहुत अच्छा रहेगा. बताया जा रहा है कि उत्पादन और एक्सपोर्ट दोनों में ही उछाल आएगा. इसके पीछे रिपोर्ट में तीन महत्वपूर्ण कारण बताए गए है. रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि इस दौरान भारत में पशुओं की संख्या भी बढ़ेगी. बता दें कि मीट के लिए काटी जाने वाली भैंसों की तादात में भी हर साल इजाफा हो रहा है.
इसके अलावा भारतीय लोगों में भी भैंस के मीट के प्रति मांग बढ़ी है. 2024 बाजार वर्ष (जनवरी-दिसंबर) के लिए अपनी रिपोर्ट में 2023 में 2.92 मिलियन टन के मुकाबले 2024 में भैंस के मांस की खपत 2.97 मिलियन टन (एमटी) होने का अनुमान लगाया है. भैंस के मीट के लिए सबसे बड़ी खपत युवा उपभोक्ताओं द्वारा भोजन में इस्तेमाल करने के कारण है. दिसंबर 2023 में आई पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की रिपोर्ट में भैंसों की संख्या को बढ़ाया हुआ दिखाया गया. मंत्रालय ने बकरे और मुर्गों की संख्या के बारे में बताया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि भैंस की डिमांड सिर्फ भारतीय बाजार में ही नहीं बल्कि इंटरनेशनल मार्केट में भी लगातार बढ़ रही है.
2024 में बढ़ जाएगा मीट एक्सपोर्ट
रिपोर्ट के अनुसार 2023 के मुकाबले में 2024 में भैंस का मीट एक्सपोर्ट बढ़ जाते हैं. वर्ष 2023 में जनवरी से दिसम्बर तक 10.55 लाख टन भैंस के मीट का निर्यात हुआ था. जबकि साल 2024 के लिए उम्मीद है कि मीट का एक्सपोर्ट 10.64 लाख टन पहुंचने की उम्मीद है. रिपोर्ट में भारत के आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि मीट के उत्पादक का निर्यात वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) में भारत से कुल पशु उत्पादों के एक्सपोर्ट का लगभग 79 फीसद था.
युवाओं में है भैंस के मीट की डिमांड
उत्पादन और एक्सपोर्ट विदेशी कृषि सेवा की रिपोर्ट में बताया गया है कि भैंस के मीट की डिमांड युवाओं में भी बढ़ रही है. पोषक तत्वों की तलाश में युवा अपने खानपान में शामिल कर रहे हैं. यही वजह है कि देश में नॉनवेज खाने वालों की संख्या बढ़ रही है. खासतौर पर प्रोसेस मीट की डिमांड बढ़ी है. दूसरी वजह है भैंस का मीट रेड मीट में सबसे ज्यादा सस्ता है.
रिपोर्ट में दिए गए आंकड़े चौंकाने वाले
रिपोर्ट में दिए गए आंकड़े बताते हैं कि साल 2023 में हिंदुस्तान से सऊदी अरब, वियतनाम, इराक, जॉर्डन, ओमान, फिलीपींस, संयुक्त अरब अमीरात, हांगकांग में भैंस का मीट और इससे बने उत्पाद का सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट हुआ है. कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) के आंकड़ों पर जाएं तो इस वित्त वर्ष के अप्रैल-जनवरी में भैंस के मांस का एक्सपोर्ट 10.08 लाख टन था, जिसकी कीमत 300.07 करोड़ डॉलर था, जबकि 0.97 लाख टन की कीमत 200.63 करोड़ डॉलर थी. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भैंस क मीट की खपत का सबसे बड़ा कारण घरेलू स्तर बहुत ज्यादा उपयोग करना भी माना जा रहा है.
इन देशों में होता है एक्सपोर्ट
इस वित्तीय वर्ष में निर्यात डॉलर 3 बिलियन से ऊपर है. पोस्ट के व्यापार सूत्रों की टिप्पणी है कि स्थापित अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निर्यात की सामान्य प्रवृत्ति के अलावा, 2023 में वियतनाम, सऊदी अरब, इराक, संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन, ओमान, फिलीपींस, हांगकांग में कैरबीफ और कैरबीफ उत्पाद निर्यात में अनुमान से अधिक वृद्धि देखी गई. कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जनवरी अवधि के दौरान भैंस के मांस का निर्यात 1.08 मिलियन टन था, जिसका मूल्य 3.07 बिलियन डॉलर था, जबकि 0.97 मिलियन टन का मूल्य 2.63 बिलियन डॉलर था.
22 फीसदी हिस्सा भैंस के मीट का
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के अनुसार, भारत में उत्पादित मांस का 22 प्रतिशत हिस्सा भैंस के मांस का होता है. भैंस के मांस उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब हैं. एफएएस के पोस्ट में कहा गया है कि कम कीमत भारतीय मूल के भैंस की कीमत को प्रतिस्पर्धी बनाती है, खासकर मध्य से कम आय वाले देशों में. जबकि भारतीय भैंस के मीट का औसत निर्यात मूल्य/किग्रा 2.05 बडॉलर है. संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, ब्राज़ील और अर्जेंटीना – दुनिया के शीर्ष बीफ़ निर्यातकों के बीफ़ और बीफ़ उत्पादों का मूल्य 6.73 डॉलर, 5.81 डॉलर है.
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