नई दिल्ली. देश में खेती किसानी के अलावा पशुपालन, मुर्गी पालन, मछली पालन और बत्तख पालन आदि से किसान अपनी इनकम को और ज्यादा बढ़ा रहे हैं. अगर बात करें मछली पालन की तो केंद्र सरकार के साथ-साथ कई राज्य सरकारे भी मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी आदि की व्यवस्था कर रही हैं. इससे तेजी के साथ किसान मछली पालन की ओर रुख कर रहे हैं. यही वजह है कि मछली पालन तेजी के साथ बिजनेस में बदल रहा है. जबकि मछली पालन में कई ऐसी तकनीक है जिसका इस्तेमाल करके आप इसे और ज्यादा फायदेमंद बना सकते हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर मछली पालन के साथ-साथ बत्तख पालन भी शुरू कर दिया जाए तो इससे उन्हें कम लागत में ज्यादा मुनाफा हासिल हो सकता है. दरअसल, बत्तख पानी और जमीन दोनों जगह पर रह सकने वाली जीव है, लेकिन यह अपने पेट भरने के लिए तालाब में तैरती रहती हैं. तालाब के कीड़े मकोड़े खाकर पेट भर लेती हैं. अगर मछली पालक किसान बत्तख पालन भी करें तो तालाब साफ तो रहेगा ही साथ में बत्तख के अंडे और मांस बेचकर वह कमाई कर सकते हैं.
तालाब में बढ़ जाता है ऑक्सीजन का स्तर
वहीं बत्तख के मल मूत्र को मछलियों की आहार के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है. विशेषज्ञ कहते हैं कि मछली के साथ बत्तख पालने पर मछली पालन पर होने वाले खर्च को 60 फ़ीसदी तक काम किया जा सकता है. साथ ही बत्तख तलाब में गंदगी खाकर सफाई कर देती है. इसका तालाब के पानी में तैरने से तालाब में ऑक्सीजन का स्तर भी बढ़ जाता है. इसे मछलियों की ग्रोथ तेजी से होती है, और लंबे समय तक स्वस्थ रहती हैं. इसलिए एक्सपर्ट कहते हैं कि मछली पालन के साथ अगर बत्तख भी पाल लिया तो ये हर तरह से फायदा ही पहुंचाएगी.
मछली की ग्रोथ भी बढ़ जाती है
अगर मछली के साथ बत्तख पालन करना चाहते हैं तो अच्छी नस्ल की बत्तख वाले जो फायदा पहुंचा सकते हैं. मछली पालन के साथ बत्तख पालन चाहते हैं तो 4000 किलोग्राम मछली का उत्पादन कर सकते हैं. साल में आप 18000 अंडे साथ 600 तक बत्तखों का मास बेच पाएंगे. बत्तख को 120 ग्राम दाना हर रोज देना चाहिए. इससे उनकी ग्रोथ तेज होती है. मछली के साथ बत्तख पालने से 60 70 ग्राम दाना देकर आहार पूरा कर सकते हैं. जबकि बत्तख कीट-पतंगों और मेंढक के बच्चों को खा जाती है जो की मछलियों के लिए हानिकारक है.
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