नई दिल्ली. पशुओं को कई ऐसी फीड खिलानी पड़ती है जो उन्हें तमाम पोषक तत्व दें. पशुपालकों के लिए ये जरूरी है कि उन्हें तमाम फीड के बारे नॉलेज हो. दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए पशुपालक अक्सर सवाल करते हैं कि वो किस तरह का चारा खिलाएं कि पशुओं से ज्यादा से ज्यादा दूध उत्पादन ले सकें. क्योंकि पशुपालकों को दूध से ही ज्यादा फायदा होता है इसलिए पशुपालक दूध बढ़ाने के तमाम रास्ते अपनाते रहते हैं. कई ऐसी फीड है, जिससे पशुओं को खिलाने से दूध उत्पादन बढ़ जाता है.
अजोला जो एक जलीय फर्न है, इसको खिलाने से पशुओं की दूध उत्पादन की क्षमता बढ़ जाती है जबकि अजोला में कई ऐसे गुण भी हैं जो इसे पशुओं के लिए बहुत ही बेहतरीन चारा बनाते हैं. हो सकता है कि बहुत से किसानों को ये पता न हो कि अजोला में कौन-कौन सी क्वालिटी होती है. आइए इस आर्टिकल में हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि अजोला में क्या-क्या होता है और अजोला खिलानें से पशुओं को क्या फायदा होता है.
क्या हेाता है अजोला में
अजोला में प्रोटीन, आवश्यक अमीनो अम्ल, विटामिन एवं विकासवर्धक सहायक तत्व मोजूद होते हैं. इसमें कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, फेरस, कॉपर, मैग्नीशियम आदि तत्व भरपूर मात्रा में होती है. शुष्क वजन के आधार पर इसमें 25 से 30 प्रतिशत प्रोटीन, 10 से 15 प्रतिशत खनिज, 7 से 10 प्रतिशत अमीनो अम्ल, जैव सक्रिय पदार्थ एवं बायो पॉलीमर होते हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि अजोला सिर्फ पशुओं के लिए ही नहीं बल्कि यह मुर्गियों के लिए प्रोटीन का अच्छा स्रोत हो सकता है.
अजोला खिलाने के फायदे
अजोला सस्ता, आसानी से पचने वाला और पौष्टिक पूरक पशु आहार है. इसे खिलाने से वसा व वसारहित पदार्थ की मात्रा बढ़ती है. यह मात्रा सामान्य आहार खाने वाले पशुओं के दूध से, अजोला खाने वाले पशुओं के दूध में अधिक के लिए एक आदर्श हरा चारा है. अजोला की पोषण क्षमता इसमें प्रोटीन (25-35 प्रतिशत), कैल्शियम (67 मि.ग्रा./100 ग्राम) और लोहा (7.3 मि.ग्रा./100 ग्राम) पाया जाता है. अजोला और अन्य चारे के पोषक तत्वों का तुलनात्मक विश्लेषण सारणी-1 में दिया गया है.
5 दिन में हो जाता है दोगुना
विश्व में इससे पशुओं में कैल्शियम, फॉस्फोरस, लौह की आवश्यकता की पूर्ति होती है. पूरी दुनिया में इसकी कई प्रजातियां पाई जाती हैं. भारत में अजोला पिनाटा प्रजाति प्रमुखता से मिलती है. इसकी विशेषता है कि यह अनुकूल वातावरणीय परिस्थतियों में 5 दिनों में ही दोगुना हो जाता है. यदि इससे पूरे वर्ष उत्पादन लिया जाये तो 300 टन से भी अधिक अजोला प्रति हैक्टर उत्पादन किया जा सकता है. अजोला गाय, भैंस, भेड़, बकरियों यहां तक की मुर्गियों के लिए भी फायदेमंद है.
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