नई दिल्ली. पिछले दिनों राजस्थान के जैसलमेर शहर में मेविशों पर कहर बनकर टूटी कर्रा बीमारी अभी और खतरनाक रूप ले सकती है. राजस्थान में इस बीमारी ने 1500 गायों की जान ले ली और अब ये भारत के अन्य हिस्सों में भी फैल सकती है. कई मीडिया के रिपोर्ट के मुताबिक देश के अलग—अलग हिस्सों में ये बीमारी के फैलने की आशंका है. जबकि कई जगह ये बीमारी फैल चुकी है. दरअसल, इस बीमारी के फैलने की मुख्य वजह मृत हुए जानवरों का सही से निस्तारण नहीं करना है.
यानि वैज्ञानिक तरीके से जब तक मृत पशुओं का निस्तारण नहीं किया जाता है, तब तक इस बीमारी के फैलने का खतरा बरकरार रहेगा. ये बीमारी इतनी खतरनाक है कि अगर ये फैल गई तो फिर दो से पांच के अंदर दुधारू पशुओं की मौत हो जाएगी और पशुपालक हाथ मलते रह जाएंगे. क्योंकि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है. सरकार भी इस बीमारी को लेकर अलर्ट हो गई और बीमारी से बचाने के लिए काम शुरू कर दिया गया है.
ये हैं इन बीमारियों के लक्षण
बताते चलें कि पशुओं में होने वाली कर्रा बीमारी से दुधारु गायों की मौत हो चुकी है. जबकि ये अन्य पशुओं पर भी असर करती है. इस बीमारी कुछ ऐसा हो रहा है कि गाय के आगे के पैर जकड़ जा रहे हैं और फिर गाय चलना बंद कर कर देती गायों के मुंह से लार टपकती है और चारा खाना व पानी पीना भी बंद कर देने से वो बेहद कमजोर हो जाती है और फिर पशु की 4 से 5 दिन में मौत हो जा रही है. गंभीर बात ये है कि इस बीमारी का कोई इलाज भी नहीं है.
बचाव का तरीका यहां पढ़ें
एक्सपर्ट कहते हैं कि कर्रा रोग से बचाव तरीका ये है कि पशुपालक अपने दुधारू पशुओं को घर में बांध कर रखें. मृत पशुओं के शवों का निस्तारण वैज्ञानिक विधि से गड्डा खोद कर दफना कर किया जाए. एवं ग्राम पंचायत के सहयोग से गांव से 2-3 किमी की दूरी पर चार दीवारी बना कर बंद बाड़े में मृत पशुओं के शवों को डालें. वहीं मिक्सर पाउडर को ले जाकर दुधारू पशु को प्रतिदिन 50 ग्राम पाउडर व नमक दाने के साथ नियमित रुप से खिलाएं. कर्रा रोग से बचाव के लिए ये बचाव ही उपचार है, इसकी पालना जरुर करें.
राजस्थान के इन शहरों में कहर
मीडिया के रिपोर्ट के मुताबिक जैसलमेर के सांवता, भैंसड़ा, बैतीणा, लाला, कराड़ा, नया कराड़ा, भोपा, भीखसर, रासला, मुलाना, चांधन, लाठी, मेहराजोत क्षेत्र में कर्रा बीमारी की वजह से पशुओं की मौत हो रही है. सर्रा रोग गायों में तेजी से फैल रहा है और पशुपालक हाथ मलते रह जा रहे हैं. वो गायों को बचा नहीं पा रहे हैं, जिससे उन्हें बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. जबकि पंचायतें व पशुपालन विभाग भी कोई खास कदम उठाता नजर नहीं आया.
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