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Dairy: 2047 तक बढ़ाना होगा तीन से चार गुना तक दूध का उत्पादन, विशेषज्ञों ने क्यों जाहिर की चिंता

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सेमिनार के दौरान चर्चा करते एनडीआरआई के अधिकारी

नई दिल्ली. आईसीएआर-राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल ने एक जुलाई, 2024 को अपना 102वां स्थापना दिवस मनाया. कार्यक्रम में संस्थान के इतिहास से लेकर उसके द्वारा बनाए गए कीर्तिमानों के बारे में चर्चा की गई. साथ डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने और दूध उत्पादन की बढ़ोत्तरी पर भी चर्चा की गई. चर्चा की गई कि वर्ष 2047 तक अपने दूध उत्पादन को 3 से 4 गुना तक बढ़ाना होगा. दूध उत्पादकता बढ़ाने के लिए, बदलते जलवायु परिदृश्य के दौरान पशुओं की उचित देखभाल की जानी चाहिए क्योंकि पशु जलवायु परिवर्तन के सबसे पहले शिकार होते हैं, इसलिए हमें उनके लिए विशिष्ट चारा उपलब्ध करवाना चाहिए.

एनडीआरआई के निदेशक और कुलपति डॉ. धीर सिंह ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि एनडीआरआई ने किसानों और डेयरी उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और खाद्य सुरक्षा, रोजगार सृजन और गरीबी उन्मूलन के मामले में देश की सेवा करना जारी रखेगा. एनडीआरआई ने अनुसंधान और शिक्षा के माध्यम से डेयरी के उद्देश्य को मजबूत करने और भारत और विदेश दोनों में मानव संसाधन की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक राष्ट्रीय संस्थान के रूप में अपना वर्तमान प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त किया है. उन्होंने कहा कि संस्थान के दो क्षेत्रीय स्टेशन हैं, दक्षिण में बेंगलुरु और पूर्वी भारत में कल्याणी. संस्थान, डेयरी उत्पादन, प्रसंस्करण और प्रबंधन के क्षेत्र में अनुसंधान कर रहा है और डेयरी के क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करता है.

देश में 60-70% महिलाएं डेयरी क्षेत्र से जुड़ीं
आईसीएआर-एनएएआरएम हैदराबाद के निदेशक डॉ. श्रीनिवास राव द्वारा “सतत विकास लक्ष्यों के लिए डेयरी क्षेत्र की क्षमता का उपयोग” विषय पर एक स्थापना दिवस व्याख्यान दिया गया. डॉ. श्रीनिवास ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले 100 से अधिक वर्षों में एनडीआरआई ने डेयरी पशुओं की दूध उपज और दूध की गुणवत्ता में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. दूध के फायदों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि दूध नवजात बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी के लिए है, और हम सब दूध का सेवन करते हैं. दूध ने न केवल भूख, गरीबी को कम किया है, बल्कि पोषण सुरक्षा में भी सुधार किया है और लैंगिक समानता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. क्योंकि 60-70% महिलाएं डेयरी क्षेत्र से संबंधित हैं.

बदलते जलवायु परिदृश्य में पशुओं की करें उचित देखभाल
प्रोग्राम में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के संस्थापक अध्यक्ष और भारत की श्वेत क्रांति के वास्तुकार डॉ. वर्गीस कुरियन की भूमिका की सराहना की. डॉ. श्रीनिवास ने कहा कि हमें वर्ष 2047 तक अपने दूध उत्पादन को 3 से 4 गुना तक बढ़ाना होगा. दूध उत्पादकता बढ़ाने के लिए, बदलते जलवायु परिदृश्य के दौरान पशुओं की उचित देखभाल की जानी चाहिए क्योंकि पशु जलवायु परिवर्तन के सबसे पहले शिकार होते हैं, इसलिए हमें उनके लिए विशिष्ट चारा उपलब्ध करवाना चाहिए. शुष्क भूमि वाली डेयरी प्रणालियों में रहने वाले पशुओं पर अधिक प्रयास किए जाने चाहिए. जहां चारे और साफ पानी की कमी है. उन्होंने जोर देकर कहा कि पशुओं की जानलेवा बीमारी के टीके के विकास की तत्काल आवश्यकता है और कम कार्बन फुट प्रिंट के साथ अधिक दूध उत्पादन के प्रयास जारी रहने चाहिए.

संस्थान का संक्षिप्त इतिहास
एनडीआरआई के निदेशक और कुलपति डॉ. धीर सिंह ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत सरकार ने 1923 में बैंगलोर में सैन्य डेयरी फार्म के परिसर में एक डेयरी प्रशिक्षण और अनुसंधान केंद्र के रूप में इंपीरियल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल हसबेंडरी एंड डेयरी की स्थापना की थी. 1941 में संस्थान का नाम बदलकर इंपीरियल डेयरी इंस्टीट्यूट कर दिया गया. बाद में इसका मुख्यालय करनाल में स्थानांतरित कर दिया गया और इसका नाम फिर से (1955) राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान रखा गया.

दुनिया में तेजी से बढ़ रहा भारतीय डेयरी बाजार
संयुक्त निदेशक (अकादमिक) डॉ. आशीष कुमार सिंह ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और कहा कि भारतीय डेयरी बाजार दुनिया के सबसे बड़े और सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक है. यह हमारे लिए एक गर्व का क्षण है. संयुक्त निदेशक (अनुसंधान) डॉ. राजन शर्मा ने कर्मचारियों, छात्रों और पूर्व छात्रों सहित सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया. इस कार्यक्रम में 500 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया.

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