नई दिल्ली. प्योर और क्लीन पानी बेहतर सेहत के लिए बेहद ही जरूरी होता है. पानी चाहे इंसान इस्तेमाल करें या फिर पशुओं को दिया जाए, इसका प्योर और क्लीन होना जरूरी है. अगर पानी से रसायनों और हानिकारक कीटाणुओं को नहीं हटाया जाए तो इससे पानी से होने वाली बीमारियाँ हो सकती हैं. गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर वन हेल्थ के निदेशक डॉ. जसबीर सिंह बेदी ने बताया कि जल जनित बीमारियां बैक्टीरिया, वायरल और परजीवी हो सकती हैं, जिनमें से कई गैस्ट्रो-इंटेस्टाइनल रोगजनक हैं.
उन्होंने आगे बताया कि संक्रमण आमतौर पर तब होता है जब इस दूषित पानी का इस्तेमाल पीने के लिए किया जाता है. या खराब गुणवत्ता वाले पानी के साथ क्रॉस दूषित भोजन का सेवन किया जाता है. गौतरलब है कि सेंटर फॉर वन हेल्थ के विशेषज्ञों ने पानी से होने वाली बीमारियों के बारे में जागरूक रहने की सलाह दी है. गौरतलब है कि पानी से होने वाली बीमारियों से इंसानों के अलावा पशु भी बीमार हो जाते हैं. अगर दूषित पानी पशु पीएंगे तो उन्हें भी कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं.
गंदा पानी पीने से पशु हो जाते हैं बीमार
बताते चलें कि आमतौर पर बरसात के पानी से होने वाली बीमारी के चांसेज काफी बढ़ जाते हैं. इस मौसम में, सीवेज पाइपों का अवरुद्ध होना और ओवरफ्लो होना पेयजल आपूर्ति को प्रदूषित कर देता है. इसके चलत स्थिर पानी मच्छरों के प्रजनन के लिए आधार का काम करता है जिससे डेंगू, मलेरिया आदि मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. वहीं पशुओं की बात की जाए तो प्रदूषित पानी पीने की वजह से वो भी बीमार पड़ जाते हैं. पशुओं की भी खास हिफाजत करना इस मौसम में बेहद ही जरूरी होता है.
टैंक की सालभर में दो बार करें सफाई
पानी को साफ रखने के लिए जिस टैंक में पानी इकट्ठा किया जा रहा है, उसमें पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए समय-समय पर रखरखाव और डिसइंफेक्शन करना बेहद ही अहम होता है. विशेषज्ञों कर सुझाव है कि पानी की टंकी को साल में कम से कम दो बार डिइंफेक्शन करना चाहिए. वहीं समय-समय पर पानी में सूक्ष्म जीवों और अन्य पानी को प्रदूषित करने वाले तत्वों की जांच होनी चाहिए. वहीं किसी भी संदेह की स्थिति में, पानी के नमूने की पीने योग्यता की जांच कराना भी बेहतर होता है. ऐसा करने से पशुओं को बीमार होने से बचाया जा सकता है.
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