नई दिल्ली. भारत में भले ही दुनियाभर के मुकाबले पशुओं की संख्या ज्यादा है लेकिन प्रति पशु उत्पादन कम है. इसकी एक वजह सूखे मौसम और क्षेत्रों में हरे चारे की कमी भी है. कार्नेक्स्ट स्टार्टअप ने साल साइलेज बेलर के जरिए इसे कम करने में बड़ा रोल निभाया है. अब कॉनेक्स्ट की योजना है कि वो किसानों को साइलेज खरीदने की सुविधा उनके मोबाइल फोन पर ही उपलब्ध करा दें. इसके लिए ई-कॉमर्स मोबाइल एप के माध्यम से, जिसका नाम “फीडनेक्स्ट” है, किसानों को जोड़ा जाएगा. एप की मदद से किसान घर पर ही पशुओं के लिए गुणकारी साइलेज मंगा सकेंग.
वहीं कार्नेक्स्ट को चारा का व्यवसाय करने वालों की जरूरत है. फाउंडर फिरोज ने बताया कि हमें यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि हमारे नेटवर्क में वर्तमान में 250 से अधिक बेलिंग इकाइयां हैं. लेकिन देश में अभी भी विकास और विस्तार की जबरदस्त गुंजाइश है. औसत परिवहन दूरी को 100 किलोमीटर से कम करने के दृष्टिकोण को हम साकार करने की दिशा में हम काम कर रहे हैं. इससे सीमांत किसानों के लिए बेलेड साइलेज को सुलभ बनाने में महत्वपूर्ण बन जाएगा. उन्होंने कहा कि भारत में डेयरी फार्मिंग समुदाय का बहुमत ऐसा है जो इसका खर्च वहन नहीं कर सकता है. ऐसे में आनलाइन या फिर दूरी कम करके उन्हें फायदा पहुंचाया जा सकता है.
सरकार देती है 50 फीसदी सब्सिडी
कार्नेक्स्ट के फाउंडर फिरोज ने आगे बताया कि भारत में अग्रणी होने के नाते, कॉर्नेक्स्ट को भारत सरकार की ओर से भी मदद मिली है. सरकार ने सहायता प्रदान करने के लिए सब्सिडी आदि के रूप में बुनियादी ढांचा विकास निधि और संभावित चारा उद्यमियों के लिए प्रोत्साहन को शुरू किया है. हमने सरकार के साथ काम किया है. भारत की राष्ट्रीय नीति स्तर पर और बेलर्स को 50 फीसदी की सब्सिडी के लिए पात्र बनाया गया है. इससे चारा कारोबारियों को काफी मदद मिल सकती है. अब जरूरत विभिन्न राज्यों के साथ काम करने की है.
किसानों को दी जा रही है ट्रेनिंग
कॉर्नेक्स्ट अपना ज्ञान और अनुभव किसानों के साथ साझा करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. सेमिनार, कार्यशाला और आवश्यक प्रशिक्षण मॉड्यूल के जरिए पहले ही चारा उत्पादन करने वाले कारोबारियों को इसकी जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है. चारा उद्यमियों के लिए बाजार तैयार करने के लिए कॉर्नेक्स्ट काम कर रहा है. राज्य स्तरीय डेयरी सहकारी समितियां जो एग्रीगेटर के रूप में काम करती हैं, मांग पैदा करती हैं. यह सीमांत किसानों को भी उनकी छोटे ऑर्डर देने में सक्षम बनाती हैं. ये सुविधा, उत्पाद की पहुंच में काफी सुधार करती हैं.
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