नई दिल्ली. मछली पालन को बढ़ावा देने और किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने साल 2023 में मछुआरों के लिए निषादराज बोट सब्सिडी योजना शुरू की थी. ये योजना साल 2026 तक के लिए संचालित की जा रही है. इससे प्रदेश में मत्स्य पालन एवं फिशिंग पर निर्भर गरीब मत्स्य पालकों व मछुआरों को जलक्षेत्रों में शिकारमाही तथा मत्स्य प्रबंधन के लिए आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की योजना है. वहीं योजना का फायदा ये भी है कि संबंधित जलक्षेत्रों में अवैध फशिंग की रोकथाम किया जा सकता है.
बता दें कि मछली पालन एवं फिशिंग में नाव एवं पर्यटन स्थलों में नाव की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. इसके चलते गरीब मछुआरों को अनुदानित बोट मिलने से उनको अपनी आजीविका चलाने में सहायता प्राप्त होती है. बता दें कि इस योजना का फायदा पाने के भी कुछ नियम कायदे बनाए गए हैं. योजना का फायदा उठाने वालों को इसकी जानकारी होना जरूरी है.
योजना के कार्य का होगा फॉलोअप
लाभार्थी की ओर से योजना के तहत कराए गये कार्य से जुड़ी हुई बिल बाउचर्स व सबूत फोटो के साथ जिला स्तरीय विभागीय अधिकारी को जमा करना होता है और इसके सत्यापन के बाद ही डीबीटी के माध्यम से एक बार में पूरा रुपया खाते में आ जाता है. वहीं योजना के मूल्यांकन के लिए मुख्यालय और मंडल स्तरीय अधिकारियों द्वारा समय-समय पर औचक निरीक्षण किया जायेगा, तथा योजना के बारे में जिला स्तरीय समिति द्वारा फॉलोअप किया जाएगा. योजना के दौरान खरीदे गए सामान का सबूत फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी के माध्यम से जिला स्तर पर सेफ किया जाएगा. योजना के तहत मिली हुई राशि का सही इस्तेमाल हुआ है कि नहीं ये देखना जिला और मंडल लेवल के अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी.
पांच साल में इतना होगा खर्च
योजना पांच वर्षों (वर्ष 2022-23 से 2026-27 तक) के लिए संचालित की जाएगी. योजना को चलाने में वित्तीय वर्ष 2022-23 में वार्षिक अनुदान धनराशि के रूप में 8.04 करोड़ व इकाई लागत में प्रतिवर्ष 5 प्रतिशत के इजाफे के साथ कुल 20 प्रतिशत की वृद्धि होगी. इस प्रकार वित्तीय वर्ष 2023-24 में में 8.442 करोड़, वित्तीय वर्ष 2024-25 में 0 8.864 करोड़, वित्तीय वर्ष 2025-26 में 9.307 करोड़ व वित्तीय वर्ष 2026-27 में 9.772 करोड़ निर्धारित किया गया है. योजना के संचालन पूरा होने पर कुल 44.425 करोड़ का खर्च होगा. योजना के तहत हर साल 3000 लाभार्थियों को और आने वाले पांच वर्षों में 15000 लाभार्थियों को योजना का फायदा पहुंचाने का लक्ष्य है.
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