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यूपी के इस शहर में कुत्तों की होगी नसबंदी, इस एनजीओ को सौंपा काम, एबीसी एंड एआर‌वी सेंटर शुरू

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कुत्ते की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. पूरे देश में बंदरों के साथ ही कुत्तों का भी बहुत उत्पात है. आए दिन लोगों पर हमला करके उन्हें घायल कर रहे हैं. बहुत से घायल तो मर तक जाते हैं. यही वजह है कि देश के अलग-अलग जिलों में बंदर और कुत्तों की आबादी को बढ़ाने से रोकने पर काम शुरू हो गया है. इसमें उत्तर प्रदेश में धर्मनगरी के नाम से जानी जाने वाली मथुरा में बंदरों के साथ-साथ कुत्तों की बढ़ती आबादी पर अंकुश के लिए नगर निगम मथुरा-वृंदावन का एनिमल बर्थ कंट्रोल व एंटी रेबीज वैक्सीनेशन (एबीसी एंड एआर‌वी सेंटर) 19 जुलाई 2024 से शुरू हो गया. यहां वैक्सीनेशन, नसबंदी करके कुत्तों को दोबारा छोड़ दिया जाएगा.

मथुरा-वृंदावन नगर निगम ने एबीसी सेंटर का प्रस्ताव पारित किया था. सेंटर सौंख रोड स्थित सलेमपुर में स्थापित किया गया है. सेंटर की जिम्मेदारी भोपाल की एनजीओ चैरिटेबल वेलफेयर सोसाइटी फॉर ह्यूमन काइंड्स एंड एनीमल संभालेगा. एनजीओ के सर्वे के हिसाब से मथुरा महानगर में करीब 50 हजार स्ट्रीट डॉग हैं. इनकी आबादी रोकने के लिए सेंटर पर स्ट्रीट डॉग रेस्क्यू करके लाए जाएंगे. यहां एंटी रेबीज वैक्सीन लगाने के साथ उनकी नसबंदी की जाएगी. नसबंदी के चार-पांच दिन बाद उन्हें वापस उनकी गली-मोहल्ले में छोड़ दिया जाएगा. एनजीओ के जिला प्रभारी डॉक्टर कृष्णा ने बताया कि सेंटर पर करीब 200 स्ट्रीट डॉग एक साथ रखे जा सकेंगे. यहां ऑपरेशन थियेटर के अलावा एक हायर सेंटर भी होगा. सेंटर पर दो चिकित्सक, एक गेस्ट चिकित्सक, दो पैरावेट व 12 लोगों की रेस्क्यू टीम होगी.

कुत्तों को खाने में मिलेगा दही-चावल
सेंटर की जिम्मेदारी भोपाल की एनजीओ चैरिटेबल वेलफेयर सोसाइटी फॉर ह्यूमन काइंड्स एंड एनीमल संभालेगा. एबीसी सेंटर पर कुत्तों के लिए सुबह व शाम को चिकन चावल व दोपहर दही चावल उपलब्ध कराए जाएंगे. अपर नगर आयुक्त रामजी लाल ने बताया कि एबीसी सेंटर का शुभारंभ शुक्रवार यानी 19 जुलाई 2024 को नगर निगम के मेयर विनोद अग्रवाल द्वारा किया जाएगा.

हायर सेंटर में रखे जाएंगे पागल कुत्ते
नगर निगम के एबीसी एंड एआरबी सेंटर पर रेबीज पीड़ित (पागल) कुत्तों के लिए अलग हायर सेंटर भी है. शिकायत मिलने पर संबंधित गली-मोहल्ले से कुत्ते को रेस्क्यू कर यहां लाया जाएगा. कोई इलाज न होने की स्थिति में कुत्ते को सेंटर पर ही रखा जाएगा. मौत के बाद उसकी बॉडी नगर निगम को दी जाएगी, जिससे उसका निस्तारण हो सके.

बीमार-घायलों का भी होगा उपचार
एबीसी सेंटर का संपर्क वेटेरिनरी विवि में संचालित कोठारी पशु चिकित्सालय से भी रहेगा. रेस्क्यू घायल या बीमार स्ट्रीट डॉग का इलाज एनजीओ द्वारा वेटेरिनरी विवि में कराया जाएगा. उसके स्वस्थ होने के बाद उसे उसकी गली में फिर छोड़ दिया जाएगा.

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