नई दिल्ली. केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने एनडीए सरकार के तीसरे कार्यकाल में 100 दिन पूरा होने के मौके पर मछली पालन और इस सेक्टर में हासिल ही उपब्धियों को गिनाया. इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा कि फिशरीज जलीय कृषि भोजन, पोषण, रोजगार, आय और विदेशी मुद्रा का एक महत्वपूर्ण सोर्स है. वहीं मछली हेल्थ के लिए भी बेहतरीन सोर्स भी है. उन्होंने इसे एनिमल प्रोटीन और ओमेगा 3 फैटी एसिड का एक किफायती और बेहतरीन भी बताया. कहा इसमें भूख और कुपोषण को कम करने की अपार क्षमता है.
उन्होंने आगे कहा कि भारत में मत्स्य पालन के संपन्न और कई मीडियम हैं और यहां कई तरह की मछली प्रजातियां पाई जाती हैं जो हमारी बायो डायवर्सिटी को गहराई देती हैं. फिशरीज और जलीय कृषि एक ऐसा सेक्टर है, जिससे हमें बहुत उम्मीदें हैं. इस सेक्टर ने प्राथमिक स्तर पर लगभग 3 करोड़ मछुआरों और मत्स्य किसानों को आजीविका और रोजगार का मौका दिया है. जबकि अन्य लोगों को जोड़ दिया जाए तो कई लाख लोगों को भी रोजगार इसी सेक्टर से मिला है.
2019 में बनाया अलग मत्स्य पालन विभाग
मंत्री ने कहा कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक देश है, जिसका वैश्विक मत्स्य उत्पादन में लगभग 8 फीसदी योगदान है. वैश्विक लेवल पर भारत जल कृषि उत्पादन में भी दूसरे स्थान पर है. यह शीर्ष झींगा उत्पादक और निर्यातक देशों में से एक है और तीसरा सबसे बड़ा कैप्चर फिशरीज उत्पादक है. पिछले दस वर्षों के दौरान, भारत सरकार ने फिशरी और एक्वाकल्चर क्षेत्र में विकास के लिए कई पहल की है. सरकार की ओर से नए मत्स्यपालन विभाग और मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय का गठन किया गया है. फिशरीज क्षेत्र की अपार संभावनाओं को पहचानते हुए और मछुआरों तथा मत्स्य पालकों के कल्याण को केंद्र में रखते हुए, इस क्षेत्र के फोकस्ड और समग्र विकास के लिए भारत सरकार ने फरवरी, 2019 में एक अलग मत्स्य पालन विभाग बनाया और इसके बाद जून, 2019 में एक नए मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय का गठन किया गया.
फिशरीज सेक्टर में अब तक का सबसे अधिक निवेश
उन्होंने बताया कि पिछले 10 वर्षों के दौरान, भारत सरकार ने फिशरीज सेक्टर और एक्वाकल्चर सेक्टर में निवेश बढ़ाया है. 2015 से, केंद्र सरकार ने नीली क्रांति योजना, फिशरीज और जल कृषि अवसंरचना विकास निधि / फिशेरीज एंड एक्वाकल्चर इनफ्रास्ट्रक्चर, डेवलपमन्ट फ़ंड (एफआईडीएफ), प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) और PMMSY के तहत एक उप-योजना यानि प्रधान मंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह योजना (PM–MKSSY) नामक योजनाओं को मंजूरी दी है, जिसमें कुल 38,572 करोड़ रुपये का निवेश किया है.
PMMSY के तहत भी हुआ निवेश
प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) की प्रमुख योजना वित्त वर्ष 2020-21 से चल रही है. जिसका निवेश लक्ष्य 20,050 करोड़ रुपये है. उन्होंने दावा किया कि यह देश में मात्स्यिकी और जलीय कृषि क्षेत्र में अब तक का सबसे अधिक निवेश है. राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और अन्य कार्यान्वयन एजेंसियों के लिए वित्त वर्ष 2020-21 से 2023-24 तक गत चार वर्षों के दौरान पीएमएमएसवाई के तहत 20,687.28 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है. इस प्रकार इसको चलाने के चार वर्षों के अंदर पीएमएमएसवाई के तहत 100 फीसदी निवेश परियोजनाओं को मंजूरी दे दी गई है.
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