नई दिल्ली.दूध उत्पादन के मामले में भारत कामयाबी की इबारत लिख रहा है. आज देश दूध उत्पादन में विश्व में पहले नंबर पर है. लेकिन एक और अच्छी खबर ये है कि आने वाले वक्त में देश में दूध की डिमांड पूरी करने के बाद भी करोड़ों टन दूध बचेगा. ये जानकारी इंडियन डेयरी एसोसिएशन (IDA) के प्रेसिडेंट और अमूल के पूर्व एमडी डॉ. आरएस सोढ़ी ने दी है. उनका कहना है कि दूध उत्पादन सरप्लस होने की खुशखबरी के साथ ही आने वाला वक्त डेयरी सेक्टर के लिए चुनौतियों से भरा हुआ होगा. लेकिन जरूरत है कि रणनीति बनाकर काम किया जाए और चुनौतियों को अवसर में बदलें.
उनका ये भी कहना है कि आज विश्व के कुल दूध उत्पादन में तो हमारी हिस्सेदारी 24 फीसद है, लेकिन विश्व डेयरी प्रोडक्ट एक्सपोर्ट में हमारी पोजिशन ठीक नहीं है. हम विश्व के कुल एक्सपोर्ट का 0.25 डेयरी प्रोडक्ट ही एक्सपोर्ट कर पाते हैं. जबकि हमारा डेयरी एक्सपोर्ट देश की अर्थव्यवस्था में अहम रोल निभा रहा है. इसलिए ये बहुत जरूरी है कि देश में डेयरी प्रोडक्ट एक्सपोर्ट को बढ़ावा दिया जाए. घी और चीज में हमारे पास बहुत मौके हैं.
डेयरी एक्सपर्ट का कहना है कि डेयरी एक ऐसा सेक्टर है जो लगातार लाखों लोगों रोजगार दे रहा है. बच्चों से लेकर बुर्जुगों तक में पोषण को बढ़ावा देने के साथ ही देश की कृषि अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है. इसलिए जरूरी है कि सरप्लस दूध के लिए रणनीति बनाकर डेयरी प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट बढ़ाया जाए.
देश से ऐसे बढ़ेगा डेयरी प्रोडक्ट एक्सपोर्ट
डेयरी प्लांट के उच्च मानकों को बनाए रखना.
अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक मान्यता प्राप्त प्रमाणपत्रों की कमी को दूर करना.
यूरोपीय संघ और यूएसडीए से प्रमाण पत्र लेने में आने वाली रुकावटों को दूर करना होगा.
प्रमाण पत्र की प्रक्रिया में तेजी आने से यूरोप, उत्तरी अमेरिका के प्रीमियम बाजारों तक पहुंच हो जाएगी.
डेयरी निर्यात के लिए भारत की कोल्ड चेन लॉजिस्टिक्स में बड़े बदलाव की जरूरत है.
रेफ्रिजरेटेट ट्रांसपोर्ट, कुशल सीपोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम की बहुत जरूरत है.
सीमा शुल्क प्रक्रियाओं को सरल बनाने से वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी.
डेयरी निर्यात में सिर्फ कच्चे दूध पाउडर वाली मानसिकता बदलनी होगी.
पनीर, दही और लैक्टोज फ्री दूध जैसे वैल्यू एडेड प्रोडक्ट पर जोर देना होगा.
भैंस के दूध से बने घी-मोजेरेला चीज इंडियन डेयरी को वैश्विक ब्रांड के रूप में स्थापित कर सकते हैं.
प्रमुख डेयरी आयातक देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते नए बाजार खोल सकते हैं.
नए बाजार के लिए मध्य पूर्व, अफ्रीका और आसियान में बहुत मौके हैं.
ब्याज सब्सिडी, कर छूट और निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं से एक्सपोर्ट को बढ़ावा दे सकते हैं.
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