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Dairy: कितनी तरह का होता है खोया और कैसे बनाया जाता है, जानें यहां

khoya
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. खोया, खोवा, मावा या कावा दूध से बना ऐसा एक ठोस पदार्थ है, जिससे मिठाइयां और अन्य व्यंजन बनाये जाते हैं. यह भारतीय मिठाइयों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली खाद्य सामग्री है. खोया बनाने के लिए दूध को लोहे की कड़ाही में निश्चित ताप पर रखकर खूंटी से लगातार चलाया जाता है. इससे दूध में मौजूद पानी भाप होकर ठोस या गाढ़ा हो जाता है. पेड़ा, बर्फी, गुलाबजामुन, कलाकन्द, खुरचन और कुंडा का उत्पादन खोया से ही किया जाता है. बेहद टेस्टी और हैल्थ के लिए अच्छा होने के कारण खोया का ज्यादातर इस्तेमाल भारत मे पेड़ा बनाने में किया जाता है. अन्य डेयरी उत्पादों की तुलना में पेड़ा का प्रयोग ज्यादा होता है.

खोया यानी मावा के रासायनिक संघटक की बात की जाए तो अगर गाय का दूध है तो उसमें 25.6 फीसदी नमी, वास 25.7 परसेंट, प्रोटीन 19.2 फीसदी, लैक्टोज 25.5 फीसदी ऐश 3.8 फीसदी और आयरन 103 पीपीएम होता है. वही भैंस के दूध से खोया बनाया जाए तो नमी 19.2 फीसदी, फैट 37.01 फीसदी, प्रोटीन 17.3 फीसदी, लैक्टोज 22.01 फीसदी, ऐश 3.6 फीसदी और आयरन एक पीपीएम होता है.

आपको बताते चलें कि लगभग 70 प्रतिशत की कुल ठोस सामग्री हासिल करने के लिए खुले पैन में दूध को तेजी से भाप करके खोया हासिल किया जाता है. लगभग 5-6 किलो गाय के दूध से प्रोटीन, वसा, लैक्टोस व आंशिक खनिज युक्त एक किलो ठोस उत्पाद हासिल होता है. इसकी कमरे के तापमान 25 डिग्री पर शेल्फ लाइफ कुछ दिनों की होती है और लंबे समय तक संरक्षण के लिए 4 डिग्री पर भी संरक्षित किया जा सकता है. मौजूदा समय में खोया का 99 प्रतिशत भाग ग्रामीण क्षेत्रों से हासिल किया जाता है. वहां खोया आधारित मिठाई बनाने के लिए इसे शहरी केंद्रों में लाया जाता है. आकपे ये भी बताते चलें कि खोया तीन तरह का होता है.

पिंडी खोया
पिंडी खोया का प्रयोग बर्फी और पेड़ा बनाने में किया जाता है. यह पका हुआ और अम्लीय स्वाद से दूर होता है. दूध के रबड़ी रूप आने के बाद तक खूंटी से लगातार चलाकर ठोस रूप आने तक गर्म किया जाता है. इसमें नमी अन्य खोया से कम होती है. मथुरा पेड़ा और सभी प्रकार के पेड़े पिंडी खोया में चीनी मिलाकर बनाये जाते हैं.

धाप खोया
इसको कच्चा मावा भी बोला जाता है. इसमें दूध को रबड़ी रूप आने तक गर्म किया जाता है और ठंडा होने के लिए छोड़ दिया जाता है, जिससे इसकी सतह चिपचिपी और चिकनी हो जाती है. इस खोया की खासियत है कि इसमें नमी की मात्रा ज्यादा होती है. गुलाबजामुन बनाने में मिला हुआ मैदा उपस्थित नमी को सोख कर लेता है.

दानेदार खोया
इस प्रकार का खोया दानेदार और मुश्किल संरचना वाला होता है. इस खोया को बनाने में 0.05-0.1 फीसदी सिट्रिक एसिड या छाछ का प्रयोग किया जाता है. दूध की निश्चित एसिडिटी प्राप्त कर दूध से बना खोया दानेदार रूप में प्राप्त होता है. इस खोया का उपयोग मिल्क केक, पेस्ट्री आदि बनाने में किया जाता है.

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