नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश में पशुधन, पोल्ट्री और मछली पालन के लिए आहार नीति 2024-2029 बनाई गई है. सरकार की ओर से कहा गया है कि पशु हैल्थ और पशु उत्पादों में ग्रोथ के लिए पारम्परिक पशु आहारों की उपलब्धता में राज्य के छोटे किसानों व पशुपालकों को दिक्कतें हो रही हैं. जबकि पोल्ट्री क्षेत्र में आहार की लागत कुल उत्पादन खर्च का 60 से 70 प्रतिशत तक है, जिसकी वजह से इस सेक्टर को जितना फायदा मिलना चाहिए, उतना नहीं मिल रहा है. आहार लागत को कम करने के लिए किफायती पोषण की उपलब्धता के नीति बनाई गई है. जबकि मछली पालन सेक्टर में इंडियन मेजर कार्प (आईएमसी) मछलियों के लिए आहार की लागत 50 फीसदी से लेकर कैटफिश (पंगासियस) के लिए 80 फीसदी तक आती है. ऐसी स्थिति में छोटे किसान और ग्रामीण सहकारी समितियां महंगे आहार खरीद पाने की स्थिति में नहीं होते है.
इसके तहत राज्य में संतुलित आहार की उपलब्धता तथा लगातार इसके उपयोग को तय कराने के लिए पशुधन, पोल्र्टी और मछली आहार आहार नीति 2024-2029 को बनाकर इसकी कमी को पूरा करने का निर्देश दिया गया है. सेक्टरों से जुड़ी कुछ और अहम बातें भी कहीं गई हैं, जिन्हें यहां बताया जा रहा है.
नीति का क्या है मकसद
- किसानों को प्रोत्साहित करनाः किसानों की जरूरतों और हितों को ध्यान में रखते हुए ऐसे कार्यक्रम और गतिविधियां सुनिश्चित की जाय, जिससे पशुधन और मुर्गीपालन में रुचि बढ़े.फीड और दाने की आपूर्ति, उपलब्धता तथा चारा प्रबंधन विधियों में उनकी क्षमता का विस्तार हो सके.
- आहार की उपलब्धता बढ़ानाः इस कार्यक्रम का पहला मकसद उत्तर प्रदेश में किसानों के लिए पशु, पोल्ट्री और मछली आहार की उपलब्धता सुनिश्चित करना है, जिससे आहार की कमी से जुड़े जोखिम को कम किया जा सके.
- संतुलित आहार को बढ़ावा देनाः स्थानीय स्तर पर उपलब्ध घटक सामग्री के अनुपात को फिर से एडजेस्ट करके पशुओं को संतुलित आहार खिलाने के लिए प्रोत्साहित करना. जिससे उन्हें न्यूनतम लागत पर अधिक दूध, मांस उत्पादन करने के लिए पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, खनिज, विटामिन और ऊर्जा उपलब्ध हो सके.
- पोषण की गुणवत्ता बढ़ानाः पशु की हैल्थ और उत्पादकता को बेहतर करने के लिए मिश्रित आहार और पारंपरिक घरेलू आहार सहित आहार निर्माण की पोषण गुणवत्ता में सुधार करना.
- आहार और सप्लीमेंट प्रोसेसिंग को बढ़ावा देनाः किसानों की जरूरतों और हितों को सर्वोपरि रखते हुए ऐसे कार्यक्रम और गतिविधियां शुरू की जाएंगी, जिससे पशुधन और मुर्गीपालन में उनकी रुचि बढ़े, आहार आपूर्ति तक उनकी पहुंच सुनिश्चित हो सके और प्रबंधन विधियों में उनकी क्षमता का विस्तार हो सके.
- इनोवेशन और रिसर्च को बढ़ावा देनाः उत्तर प्रदेश के किसानों की विशेष जरूरतों और समस्याओं के अनुरूप लागत प्रभावी, लगातार और संतुलित आहार समाधान तैयार करने के लिए आहार तकनीक, निर्माण और प्रोसेसिंग में रिसर्च और इनोवेशन को को बढ़ावा देना.
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