नई दिल्ली. ठंडे पानी की मछलियों का पोषण संबंधी महत्व ठंडे पानी की मछलियों जैसे कि रेनबो ट्राउट, स्नो ट्राउट, गोल्डन महसीर, चॉकलेट महसीर और कॉमन कार्प आदि भारत के ग्रामीण और शहरी ऊंचाईं पर रहने वाले लोगों के लिए भोजन का एक बेहतरीन सोर्स हैं. पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाली अधिकांश जनसंख्या मछली खाने वाली होती है. इन लोगों ने मछली में अमीनो एसिड, फैटी एसिड, विटामिन और खनिजों की ज्यादती होने के कारण एक स्वस्थ भोजन के रूप में व्यापक रूप से स्वीकार किया है. ट्राउट और महसीर जैसी ठंडे पानी की मछलियों में अन्य ताजे पानी की मछलियों की तुलना में उच्च PUFA होता है.
फिश एक्सपर्ट कहते हैं कि गर्म इलाकों, मध्यम, ठंडी जलवायु और पहाड़ी धारा, निचले क्षेत्र, मौसम, ईकोलॉजी तंत्र, प्रबंधन प्रथाएं आदि महत्वपूर्ण कारक हैं, जो मछली की ग्रोथ, शरीर की संरचना और पोषण मूल्य को प्रभावित करते हैं. भारत की अधिकांश मछलियों में फर्क होने के संबंध में प्रॉक्सिमेट संरचना, फैटी एसिड और अमीनो एसिड प्रोफाइल का विस्तृत विवरण उपलब्ध नहीं है. इसलिए, इन पहलुओं पर एक साउंड डेटाबेस बनाने की तत्काल आवश्यकता है ताकि मानव पोषण विशेषज्ञों और चिकित्सकों के साथ मिलकर फीडिंग ट्रायल किया जा सके ताकि यह देखा जा सके कि बेहतर मछलियों को आहार में शामिल करने का मानव स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है.
मछलियों के पोषण के बारे में जागरुक करना है जरूरी
विभिन्न पानी इकोलॉजी सिस्टम से हासिल खाने वाली मछलियों के पोषक तत्व प्रोफाइलिंग पर काम शुरू करने की ज्यादा जरूरत है. यह पता लगाना जरूरी है कि विभिन्न मछली खाने वाली जनसंख्या के विभिन्न वर्गों द्वारा कौन सी मछलियों की किस्में खाई जाती हैं और उनकी खपत की दर क्या है. लोगों तक तमाम खाने के इस्तेमाल में आने वाली मछली प्रजातियों के पोषण मूल्य के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई जाए. विशेष रूप से फैटी एसिड, विशेष रूप से PUFAs, प्रोफाइल और अमीनो एसिड प्रोफाइल के संदर्भ में. मछली से ओमेगा 3 फैटी एसिड की मात्रा 200–600mg है. विभिन्न मछलियों से 60 ग्राम सर्विंग में ओमेगा 3 फैटी एसिड की अनुमानित मात्रा है.
मछली का तेल भी है फायदेमंद
वहीं मछली के तेल और विटामिन ई होता है. मछली का तेल ऑक्सीडेशन से गुजरता है और बासी हो सकता है, जिससे मुक्त कणों का निर्माण होता है. मछली के तेल में एंटीऑक्सीडेंट जैसे विटामिन ई का जोड़ना इन मुक्त कणों के निर्माण को रोकने में मदद कर सकता है. मछली के तेल की ज्यादा खुराक मानव शरीर में विटामिन ई की कमी का कारण बनती है. विटामिन ई की इस नुकसान को बाहरी विटामिन ई सप्लीमेंट्स के साथ पूरक किया जाना चाहिए. मछली के तेल और विटामिन ई का संयोजन कई कैंसर और हृदय रोगों के उपचार में अतिरिक्त लाभ दे सकता है, बजाय इसके कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से उपयोग किया जाए.
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