नई दिल्ली. मछलियों को पालना एक ऐसा काम है, जिसे कम मेहनत में किया जा सकता है और ग्रामीण इलाकों में खासतौर पर मछली पालन करने का ज्यादा फायदा होता है. मछली पालन के साथ बत्तख पालन और मुर्गी पालन भी करके कमाई दो गुनी और तीन गुनी की जा सकती है. जिस तरह से पशुपालन में पशुओं का ख्याल रखने की जरूरत होती है, ठीक उसी तरीके से मछली पालन में मछली का भी ख्याल रखा जाता है. खासतौर से ठंड में मछलियों की अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है. वहीं मछली पालकों को यह भी पता होना चाहिए कि उन्हें कब क्या खिलाना है, जिससे मछली की ग्रोथ ज्यादा हो.
फिश एक्सपर्ट कहते हैं कि जब मछली की ग्रोथ ज्यादा होती है और वह तेजी के साथ बढ़ती हैं, तो आगे चलकर इसका दाम भी बेहतर मिलता है. अगर उनकी ग्रोथ कम रहेगी तो मछली पालन में फायदा नहीं होगा, अलबत्ता नुकसान होगा. क्योंकि फीड का खर्च तो उतना ही आएगा, जबकि मछली खाने के बावजूद वजन नहीं हासिल करेगी. इस वजह से तौल में वजन भी कम होगा और रेट भी इसका कम मिलेगा. इसलिए हमेशा ही मछलियों की तेजी से ग्रोथ हो इस पर काम करने की जरूरत होती है.
चावल की भूसी खिलाएं
फिश एक्सपर्ट कहते हैं कि मछलियों की तेजी से ग्रोथ के लिए सबसे बेहतर चीज चावल की भूसी और सरसों की खाली है. इन दोनों ही चीजों को बराबर की मात्रा में मिलाकर मछलियों को खिलाने से मशीनों की जरूरत तेजी के साथ होती है. इसके अलावा बाजार में मिलने वाले चारे का भी इस्तेमाल मछली की ग्रोथ को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है. एक मछली को कम से कम चार दाने की जरूरत होती है. इनकी भूख ठंड में और ज्यादा बढ़ जाती है. इसलिए मछलियों की संख्या के मुताबिक चार गुना ज्यादा दाना डालना चाहिए. ताकि सभी मछलियों को पर्याप्त भोजन मिल सके और उनकी ग्रोथ में कहीं कोई कमी ना रह जाए.
हर महीने करना चाहिए वजन
आमतौर पर ठंड होने की वजह से मछलियों की ग्रोथ में भी नुकसान होता है. इसकी संभावना है बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. ऐसे में सभी मछली पालक किसान निर्धारित समय पर पानी की निकासी और नये जल की व्यवस्था तालाब में जरूर चेक करते रहें. इसी के साथ-साथ पानी में चूना और नमक का भी इस्तेमाल करते रहें. फिश एक्सपर्ट यह भी कहते हैं कि मछलियों की अधिक तेजी से ग्रोथ के लिए 30 से 35 प्रोटीन युक्त आहार की जरूरत होती है. जिसकी पूर्ति धान के कुंडे या खली को मिलाकर देने से भी पूरी की जा सकती है. वहीं हर महीने मछलियों को वजन करना एक बेहतर और समझदारी वाला काम होता है. ताकि मछलियों की ग्रोथ के हिसाब से उनके भोजन की मात्रा को बढ़ाया जा सके.
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