नई दिल्ली. पशुपालन में किसानों को ज्यादा से ज्यादा फायदा हो, इसके लिए कई काम किये जा रहे हैं. इसी क्रम में केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ में 32वें वार्षिक भारतीय पशु फिजियोलॉजिस्ट्स सोसाइटी सम्मेलन और अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन के मौके पर एक्सपर्ट ने पशुपालन में किस तरह से और ज्यादा फायदा बढ़ाया जाए, इसपर अपने विचार रखे. इस प्रोग्राम में केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. एके मोहंती ने पशुधन उत्पादकता बढ़ाने और किसानों के कल्याण को बेहतर बनाने की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इसमें ओमिक्स टेक्नोलॉजी की तब्दीली लाने वाली भूमिका अहम है.
बताते चलें कि अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी भारतीय पशु फिजियोलॉजिस्ट्स सोसाइटी के 32वें वार्षिक सम्मेलन “परिवर्तनशील जलवायु परिदृश्य के तहत सतत पशु उत्पादन और आजीविका सुरक्षा के लिए ओमिक्स युग में शारीरिक अनुसंधान में प्रगति” विषय पर आयोजित की गई थी. ये प्रोग्राम तीन दिनों तक चलेगा. 27 नवंबर को इसकी शुरुआत हुई है और 29 नवंबर एक्सपर्ट अपने विचार यहां रखें. बताया गया कि भारत और विदेशों के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और उद्योग विशेषज्ञों को एक साथ लाकर शारीरिक अनुसंधान और ओमिक्स टेक्नोलॉजी में प्रगति का पता लगाने का मौका इसमें मिलेगा. संगोष्ठी का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के मद्देनजर पशुधन उत्पादन में टिकाऊ प्रथाओं और आजीविका सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना भी है.
पशु विज्ञान को प्राकृतिक खेती से जोड़ने की जरूरत
संगोष्ठी में डॉ. बीएस प्रकाश ने शारीरिक विज्ञान और ओमिक्स की मजबूती की और पशुधन में मौजूदा चुनौतियों का समाधान करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताया. डॉ. सुनील कुमार ने समग्र विकास के लिए पशु विज्ञान को प्राकृतिक खेती प्रथाओं के साथ जोड़ने के महत्व पर जोर दिया. डॉ. एमएल मदान ने युवा रिसर्चर को प्रेरित करते हुए उन्हें केंद्रित रहने, चुनौतियों को स्वीकार करने और समर्पण के साथ काम करने का आह्वान किया. उन्होंने असफलताओं को सफलता की ओर ले जाने वाले कदम के रूप में देखने की सलाह दी. वहीं सचिव, डॉ. एस साहा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, और इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. मेघा पांडे द्वारा किया गया.
15 विषयों पर एक्सपर्ट ने रखी अपनी राय
कार्यक्रम के पहले दिन तीन तकनीकी सत्र व 15 लेक्चर आयोजित किए गये थे. जिसमें प्रजनन की शारीरिक क्रिया और पशुधन के सामरिक प्रजनन प्रबंधन, एटोमिक शारीरिक विज्ञान, ओमिक्स की मजबूती और पशु उत्पादन और दक्षता पर इसका प्रभाव, जलवायु परिवर्तन और पोषण के संदर्भ में तनाव प्रबंधन और पशु कल्याण विषयों पर चर्चा हुई. वहीं इस सम्मेलन में जरूरी जानकारियां, पशु स्वास्थ्य, उत्पादकता, तथा जलवायु प्रतिकूलताओं के प्रति लचीलापन में सुधार बढ़ाने के लिए इनोवेटिव समाधान के बारे में भी चर्चा हुई. उद्घाटन सत्र में कई प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया. जिनमें मुख्य अतिथि पद्म श्री डॉ. एमएल. मदान (पूर्व डीडीजी, भाकृअनुप और कुलपति, दुवासु, मथुरा), विशिष्ट अतिथि डॉ. बीएस प्रकाश (पूर्व एडीजी, आईसीएआर) और डॉ. सुनील कुमार (निदेशक, आईआईएफएसआर) व सापी के प्रमुख प्रतिनिधियों में डॉ. एसके रस्तोगी (अध्यक्ष) और डॉ. शैलेश इंगोले (महासचिव) शामिल थे.
Leave a comment