नई दिल्ली. सरकार पशुपालन को बढ़ावा देना चाह रही है और इसके लिए किसानों को सब्सिडी और लोन भी मुहैया कराया जा रहा है, लेकिन यह भी सच है कि किसानों को पशुओं से हासिल होने वाले दूध का दम सही नहीं मिल रहा है. जिसके चलते बहुत से किसान पशुपालन में इतनी दिलचस्पी नहीं दिख रहे हैं, जितनी दिखानी चाहिए. उनका मानना है कि मेहनत करने के बावजूद अगर उसका रिटर्न अच्छा नहीं आ रहा है तो कोई फायदा नहीं है. हालांकि हिमाचल प्रदेश सरकार ने पशुपालकों के लिए एक बेहतरीन फैसला लिया है और यहां हर रोज न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी पर दूध खरीद जा रहा है. जिससे पशुपालकों को फायदा मिल रहा है, उन्हें उनके उत्पाद का वाजिब दाम मिल रहा है.
सरकार की ओर से गाय और भैंस के दूध पर एमएसपी तय होने की वजह से पशुपालकों से कम दाम पर दूध नहीं लिया जा सकेगा. कम से कम 45 रुपए गाय के दूध के लिए जबकि भैंस के दूध के लिए 55 में प्रति लीटर किसानों को चुकाना होगा.
20 हजार किसानों को मिलेगा फायदा
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश ने दूध के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने वाला पहला राज्य बनकर डेयरी क्षेत्र में भी एक मानक स्थापित किया है. गाय का दूध 45 रुपये प्रति लीटर तथा भैंस का दूध 55 रुपये प्रति लीटर खरीदा जा रहा है. उन्होंने बताया कि दत्तनगर में 50,000 लीटर प्रतिदिन क्षमता वाले अत्याधुनिक दूध प्रोसेसिंग प्लांट का उद्घाटन किया गया है, जिससे 20 हजार से अधिक डेयरी किसानों को फायदा होगा. वहीं कांगड़ा जिले के ढगवार में प्रतिदिन 1.5 से 3 लाख लीटर दूध प्रसंस्करण क्षमता वाले स्वचालित दूध प्रसंस्करण संयंत्र की आधारशिला रखी गई है.
70 रुपए में खरीदा जा रहा बकरी का दूध
इसके अलावा कांगड़ा, कुल्लू, नाहन, नालागढ़, ऊना और हमीरपुर में दूध प्रोसेसिंग और चिलिंग प्लांट भी स्थापित किए जा रहे हैं. मिल्कफेड प्रतिदिन 2 लाख लीटर दूध खरीद रहा है और एक अग्रणी कदम के रूप में ऊना जिले में बकरी का दूध 70 रुपये प्रति लीटर खरीदा जा रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य ने दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये की ‘हिम गंगा’ योजना भी शुरू की है. गर्भवती मवेशियों के चारे पर 50 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान करके पिछले दो वर्षों में 26 हजार से अधिक गरीबी रेखा से नीचे के किसानों को फायदा पहुंचाया गया है.
Leave a comment