नई दिल्ली. अक्सर पशुओं का खुर खराब हो जाता है. इसके बाद उसे सही करने की जरूरत होती है. दरअसल, पशु जहां बाड़े में रहते हैं, वहां पर गोबर और मिट्टी के संपर्क में आने से उनके खुर में गंदगी लग जाती है और वहीं उनके खुर नियमित रूप से बढ़ते रहते हैं. इसके चलते जिस तरह से आम इंसानों के नाखून को काटना होता है, ठीक उसी तरीके से जब पशु खुर बढ़ जाते हैं तो उन्हें भी काटना पड़ता है. उसके अंदर अगर गंदगी भर जाती है तो साफ करना पड़ता है. अगर ऐसा न किया जाए तो पशु लंगड़ाने लगता है और उसे कई तरह की दिक्कतें आ जाती हैं. एनिमल एक्सपर्ट तो यहां तक कहते हैं कि अगर खुरों सही तरह से देखभाल न की जाए तो इसका असर दूध उत्पादन पर भी पड़ता है.
एनिमल एक्सपर्ट के मुताबिक कई बार पशुपालक भाई खुद से ही खुर को साफ कर लेते हैं. इसके चलते पशुओं को दिक्कत भी हो सकती हैं. मान लीजिए किसी पशुपालक भाई ने जंग लगे किसी चीज से खुर की कटिंग कर दी और इससे पशु को चोट लग गई तो फिर पशु को कई समस्याएं भी हो सकती हैं. इसलिए हमेशा एक्सपर्ट को बुलाकर खुर की सफाई करनी चाहिए.
खुर की देखभाल के लिए करें ये काम
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि पशुओं के खुरों की देखभाल करना बेहद ही जरूरी होता है. क्योंकि खुरों की समस्याओं से लंगड़ाकर चलने समस्या उत्पन्न होने की हो सकती है. जानवरों का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है. खुरों की देखभाल से पशुओं को संक्रमण से भी बचाया जा सकता है. खुर की देखभाल से खुर के जख्मों का दर्द भी कम हो जाता है. वहीं दूध उत्पादन में भी कमी नहीं आती है. नियमित रूप से खुरों को काटना चाहिए. इसके लिए पोटेशियम परगमैग्नेट लाल दवा या अन्य बैक्टीरिया को खत्म करने वाली दवा का इस्तेमाल किया जा सकता है. खुर पर कॉपर सल्फेट नीला थोथा भी लगाया जा सकता है. वहीं खुर अगर जख्मी हो जाएं तो जिंक ऑक्साइड या अन्य जीवाणु नाशक मरहम लगाकर पट्टी बांधनी चाहिए. समस्या गंभीर हो तो पशु चिकित्सक की सलाह लेना बेहतर होता है.
समय-समय पर करें ट्रीमिंग
खुर को साफ करने के उन्हें पानी से अच्छी तरह से धोना चाहिए. समय-समय पर उनकी ट्रीमिंग करनी चाहिए. खुर को काटने के लिए रगड़ने के लिए रेगमाल, रेत और चाकू वगैरह का इस्तेमाल किया जा सकता है. बता दें कि खुरों की देखभाल के लिए पशु चिकित्सक की भी सलाह लेनी पड़ती है. इसके लिए पशु को संतुलित आहार भी दिया जाता है. पशुओं को पर्याप्त खुली जगह भी दी जाती है और उन्हें समय से चारागाह में भी ले जाना पड़ता है. इस बात का भी ध्यान रखें कि जहां पर पशु को बांधा जाए, वहां पर ज्यादा गंदगी न हो.
इतने दिनों पर करें जांच
खुर को काटने से पैरों का कोण सही हो जाता है और भार दोनों खुर में बंट जाता है. वहीं जख्म बनने से रोकने के लिए नियमित रूप से खुर काटना बेहतर माना जाता है. जख्मों का इलाज करने के लिए पशु चिकित्स से मशविरा लेना चाहिए. खुर की प्रगति पर नजर रखने के लिए चार से छह हफ्ते में जांच करना चाहिए. अगर जख्म या सूजन बढ़ जाए तो फिर जांच करनी चाहिए.
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