नइ दिल्ली। पशुपालन, डेयरी और मछलीपालन के क्षेत्र में विकास को लेकर किए जा रहे कामों का लेखा-जोखा मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने दिया है. उन्होंने सवालों के जवाब दिए और बताया कि सरकार ने मछली पालन, डेयरी और पशुपालन में अब तक क्या−क्या किया है.
सवालः 1. क्या सरकार को यह जानकारी है कि कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण संबंधी चौथी समिति रिपोर्ट ने पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचऔरडीसी) के अंतर्गत टीकाकरण लक्ष्य पूरा न होने का विषय उठाया था; और यदि हां, तो इसका ब्यौरा क्या है और सरकार द्वारा इस संबंध में क्या कार्रवाई की गई है?
उत्तरः जी हां, पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी), मछली पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा एफएमडी, ब्रुसेलोसिस, पीपीआर और सीएसएफ संबंधी टीकाकरण कार्यक्रमों को सुव्यवस्थित बनाने के लिए कार्रवाई की गई है.
- सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के लिए पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी) के तहत एफएमडी, ब्रुसेलोसिस, पेस्टे डेस पेटिट्स रूमीनेंट्स (पीपीआर) और क्लासिकल स्वाइन ज्वर (सीएसएफ) संबंधी टीकाकरण को 100 प्रतिशत केन्द्रीय सहायता के तहत कवर किया जाता है.
- राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अब तक (जनवरी, 2025) एफएमडी, बुसेलोसिस, पीपीआर और सीएसएफ के लिए 107.34 करोड़, 4.39 करोड़, 20,40 करोड़ और 0.67 करोड़ टीके लगाए गए हैं. अंतिम एफएमडी-चरण IV टीकाकरण पूरा हो चुका है, जिसमें 96 फीसदी से अधिक टीकाकरण कवरेज (24.84 करोड़) किया गया है. इसके अलावा, एफएमडी चरण और VI विभिन्न राज्यों में चल रहे हैं, जिनमें क्रमशः लगभग 14.89 करोड़ और 2.29 करोड़ टीकाकरण किए गए हैं.
- टीकाकरण कार्यक्रम का कवरेज प्रतिशत बढ़ा है और एफएमडी, ब्रुसेलोसिस, पीपीआर और सीएसएफ के लिए गुणवत्ता परीक्षण किए गए टीकों की समय पर आपूर्ति तय करने के साथ-साथ हितधारकों के बीच जागरूकता पैदा करके अंतराल को कम किया गया है.
- राज्य की प्राथमिकता वाले विदेशी, आकस्मिक और जूनोटिक पशु रोगों को काबू में करने के लिए केंद्र और राज्य के बीच 60:40 पर्वतीय और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 90:10 और संघ राज्य क्षेत्रों के लिए 100 फीसदी निधियन पैटर्न के साथ पशु रोग नियंत्रण के लिए राज्यों को सहायता (एएससीएडी)। जनवरी, 2025 तक देश में लंपी रोग के लिए कुल 27.21 करोड़ से अधिक गोपशुओं का टीकाकरण/पुनः टीकाकरण किया जा चुका है.
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) राष्ट्रीय खुरपका और मुंहपका रोग संस्थान (एनआईएफएमडी)-भुवनेश्वर, आईसीएआर-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई)-बरेली, आईसीएआर-आईवीआरआई-बेंगलुरू, आईसीएआर-राष्ट्रीय पशु चिकित्सा महामारी विज्ञान और रोग सूचना विज्ञान संस्थान (निवेदी) बेंगलुरू और चौधरी चरण सिंह राष्ट्रीय पशु स्वास्थ्य संस्थान-बागपत को एफएमडी से संबंधित कार्यकलापों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है.
- ईयर-टैग वाले पशुओं के पंजीकरण और टीकाकरण से संबंधित डेटा भारत पशुधन पोर्टल पर अपलोड किया जाता है.
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