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Milk Production: अब मध्य प्रदेश में हर दिन 50 टन मिल्क पाउडर बनेगा, पशुपालकों को होगा फायदा

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नई दिल्ली. मध्य प्रदेश स्टेट कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन सांची अब हर दिन इंदौर में 40 मीट्रिक टन मिल्क पाउडर बनाएगा. फेडरेशन ने इंदौर में 30 मीट्रिक टन मिल्क पाउडर रोजाना तैयार करने की क्षमता वाला प्लांट तैयार कर लिया है. कहा जा रहा है कि इससे अब सरकार को निजी कंपनियों से मिल्क पाउडर बनाने में मदद की जरूरत नहीं पड़ेगी. इसके साथ ही इसका फायदा सीधे तौर पर किसानों और दूध उत्पादक समितियां को होगा. बता दें कि अभी इंदौर और ग्वालियर में रोजाना 10-10 टन केे मिल्क पाउडर उत्पादन के प्लांट चल रहे हैं. जिनके जरिए से सांची मिल्क पाउडर तैयार करता है. बता दें कि सांची की मिल्क पाउडर बनाने की क्षमता अब 20 मीट्रिक टन से सीधे 50 मीट्रिक टन हो जाएगी.

वहीं इसके अलावा इससे ज्यादा दूध संकलन होने पर निजी कंपनियों के जरिए मिल्क पाउडर बनवाना पड़ता है. बता दें कि इंदौर के नए दूध पाउडर प्लांट का उद्घाटन केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह अगले महीने कर सकते हैं.

बेहद आधुनिक है प्लांट
कहा जा रहा है कि सांची का नया पाउडर प्लांट आधुनिक है. जिसकी लागत 76.50 करोड़ रुपए के करीब है. इसमें 30 करोड़ रुपए जायका संस्था से लोन लिया गया है. बाकी की राशि इंदौर दूध संघ ने खुद लगाई है. सांची के दूध की रोजाना 7 लाख लीटर खपत होती है. दूध बेचने के अलावा श्रीखंड, छेना, घी, माठा, दही मावा के अलावा अन्य उत्पाद भी यहां बनाए जाते हैं. इसके अलावा संग्रहण में जो भी दूध बचता है उसका पाउडर बना दिया जाता है.

4 हजार मीट्रिक टन दूध पाउडर की है जरूरत
प्रदेश में दूध उत्पादन दिसंबर से मार्च तक ज्यादा होता है. इस दौरान मिल्क पाउडर बनाने का काम भी ज्यादा होता है. इन प्लांटो के अलावा निजी कंपनियों जैसे श्रीघी, खंडेलवाल, ओसवाल, इनोवा और पारस जैसी दूध कंपनियों को दूध पाउडर बनाने के लिए दिया जाता था लेकिन अब इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी. 4 हजार मीट्रिक टन दूध पाउडर की जरूरत सांची को होती है. बता दें कि 1 किलो मिल्क पाउडर तैयार करने में 9 से 10 किलो दूध की जरूरत होती है.

दूध संकलन भी बढ़ाया जाएगा
बता दें कि सांची और नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड एनडीडीबी के बीच अगले महीने कॉन्ट्रैक्ट होगा. इसके बाद दूध संकलन भी 9 लाख लीटर प्रतिदिन के बढ़कर 20 लाख प्रतिदिन हो जाएगा. इसके अलावा एनडीडीबी द्वारा दूध उत्पादक संस्थाओं के माध्यम से कवर किए गए गांव को 1390 से बढ़कर 2590 किया जाएगा. अगर ये होता है तो ​इससे किसानों को फायदा होगा. क्योंकि किसानों को उनके दूध का सही दाम मिलने लगेगा.

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