नई दिल्ली. हर फील्ड के जानकारों का यही मानना है कि किसी भी काम को शुरू करने से पहले उसके बारे में मुकम्मल जानकारी कर ली जाए. इससे काम में नुकसान नहीं होता है और फायदा होने का चांस बढ़ जाता है. अगर आप भी कोई काम शुरू करना चाहते हैं तो इस नियम को जरूर अपनाएं, इसका फायदा मिलेगा. हम यहां बात कर रहे हैं मछली पालन की. एक्सपर्ट का कहना है कि वैसे तो मछली पालन बेहतरीन काम है लेकिन इसकी तमाम बारीकियों को सीखकर इस काम को किया जाए तो फायदा मिलने का चांस ज्यादा बढ़ जाता है.
यही वजह है कि बिहार सरकार मछली पालन की बारीकियों को सिखाने के लिए कई काम कर रही है. एक योजना चलाई जा रही है, जिसकी मदद से मछली पालन की बारीकियों को सिखाने के लिए बड़े मछली पालकों से मिलवाने और एक्सपर्ट से टिप्स लेने का मौका मछली किसानों को मिल रहा है. असल में वित्तीय वर्ष 2025-2026 के लिए “भ्रमण दर्शन कार्यक्रम की योजना” के तहत आवेदन आमंत्रित किए गए हैं.
योजना का उद्देश्य और फीस के बारे में पढ़ें
बिहार सरकार के मुताबिक इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के मछली किसानों को भ्रमण दर्शन कार्यक्रम के द्वारा फिशरीज की नई तकनीक से अवगत करना है, ताकि वे प्रेरित होकर इस तकनीक को अपनाते हुए अपने-अपने जलस्रोतो में लागू करते हुए इसका फायदा उठा सकें. योजना के चलाने की बात की जाए तो बिहार के सभी जिलों में यह योजना चलाई जा रही है. योजना के तहत राज्य के कुल 5880 मछली किसानों को 294 बैचों (20 मछली किसान प्रति बैच) में मछली क्षेत्रों का एक दिवसीय भ्रमण दर्शन कराया जाएगा. मछली किसानों को राज्य के अन्दर भ्रमण दर्शन कार्यक्रम के लिए निबंधन शुल्क के रूप में 100 रुपए प्रति किसान अपने संबंधित जिलो के मछली कर्यालय में जमा किया जाएगा.
किसे मिलेगा योजना का फायदा
निजी, पट्टा पर या फिरी सरकारी तालाब, लकर में मछली पालन करने वाले मत्स्य पालकों को इसका फायदा मिलेगा. विभागीय विभिन्न योजना अंर्तगत आवेदनकर्ता को, प्रखंड स्तरीय मत्स्यजीवी सहयोग समिति के सक्रिय सदस्यों को, ऐसे प्रगतिशील मछली पालकों को जो विभागीय योजना के तहत प्रशिक्षण प्राप्त कर सफलतापूर्वक मछली पालन का कार्य कर रहे हों और ऐसे कृषक जो मत्स्य पालन करना चाहते हों और उनके पास समुचित संसाधन उपलब्ध है. आवेदन की प्रक्रिया की बात की जाए तो योजना के लिए आवेदन https://fisheries.bihar.gov.in/ पर ऑनलाइन पर किया जा सकता है. आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 अगस्त 2025 निर्धारित की गई है.
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