नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्मिंग के बिजनेस में तंदूरी मुर्गे की बादशाहत हमेशा कायम रहती है. क्योंकि ये मुर्गा काफी महंगा बिकता है और कम समय में ही तैयार हो जाता है. जबकि मार्केट में इसकी डिमांड भी अच्छी रहती है. बाजार में रेट की बात की जाए तो ज्यादा वजन वाले मुर्गों के मुकाबले तंदूरी मुर्गे का दाम हमेशा 8 से 10 रुपए किलो ज्यादा ही रहता है. इसको पालना भी किफायती है. क्योंकि पोल्ट्री में पलने वाला यह ब्रॉयलर मुर्गा दूसरों के मुकाबले कम दिन तक ही दाना खाता है. कम दिन में ही यह ब्रॉयलर मुर्गा तंदूरी चिकन के लिए तैयार हो जाता है.
दूसरी ओर अंडा देने वाली मुर्गियों के मुकाबले ब्रॉयलर मुर्गे दाना ज्यादा खाती हैं. पोल्ट्री बाजार पर नजर रखने वाले यूपी पोल्ट्री एसोसिएशन (U.P. Poultry Association) के अध्यक्ष नवाब अली ने लाइव स्टक एनिमल न्यूज (Livestock Animal News) को बताया कि तंदूरी चिकन के लिए ब्रॉयलर मुर्गे के महंगा बिकने के पीछे एक बड़ी वजह यह है. दरअसल, तंदूरी चिकन तैयार करने के लिए उसे तंदूर में या आग पर सेंका जाता है. इसका वजन 900 से 1150 ग्राम होता है, इसलिए ये आसानी से सेंक जाता है और मुर्गे का मीट नरम होता है. जबकि ज्यादा वजन वाले मुर्गे से वेस्ट ज्यादा निकलता है जबकि इसमें से कम निकलता है.
कितना खाता है दाना
पोल्ट्री एक्सपर्ट विनोद ने बताया कि ब्रॉयलर मुर्गा चिकन के लिए 30 से 35 दिन में तैयार हो जाता है. इसका वजन 1250 ग्राम से ज्यादा होता है.
जबकि तंदूरी चिकन के लिए ब्रॉयलर मुर्गा 24 से 25 दिन में ही तैयार हो जाता है. वहीं इसका वजन 900 ग्राम से लेकर 1150 ग्राम तक होता है.
एक ब्रॉयलर मुर्गा दिनभर में 125 से 130 ग्राम तक दाना खाता है. थोड़ा-थोड़ा करके यह दिन-रात दाना चुगता है.
आपको यहां ये भी बता दें कि ब्रॉयलर मुर्गा और तंदूरी मुर्गा दोनों अलग-अलग होता है. मुख्य रूप से उनके पालन-पोषण और तैयारी के तरीके अलग हैं.
ब्रॉयलर मुर्गों का इस्तेमाल चिकन तमाम व्यंजन बनाए जाने के लिए किया जाता है. जबकि तंदूरी चिकन का इस्तेमाल भुने हुए मीट के तौर पर किया जाता है.
निष्कर्ष
पोल्ट्री फार्मिंग में दोनों तरह के मुर्गों को पालकर बेचा जा सकता है और इससे कमाई की जा सकती है. ये आपको खुद तय करना होगा, कि कौन से काम में आपको हाथ आजमाना है.
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