नई दिल्ली. पशुओं के लिए हरा चारा बेहद ही जरूरी होता है. इससे पशुओं को दूध उत्पादन करने में मदद मिलती है. डेयरी पशुओं को हरा चारा खिलाने के लिए आप नेपियर घास का इस्तेमाल कर सकते हैं. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की मानें तो नेपियर घास पशुओं के लिए एक बेहतरीन चारा फसल है. ये अच्छे जल निकास वाली दोमट या बलुई दोमट मृदा सर्वोत्तम होती है. यह गर्म जलवायु के अतिरिक्त ठंडे स्थानों पर भी (पाले तथा जलभराव वाले क्षेत्रों को छोड़कर) सफलता के साथ उगाई जा सकती है.
सबसे अच्छी बात ये है कि यह बहुवर्षीय घास है. हालांकि 4-5 वर्ष तक एक खेत में उगाने के बाद खेत बदल देना चाहिये. नवम्बर से फरवरी तक इसकी वृद्धि कम या नहीं के बराबर होती है.
उन्नत किस्में कौन सही हैं
उन्नत किस्मों में पूसा जायन्ट नेपियर, एन बी-21, एन. बी.-9, सी.ओ.-3, एन.एच.-6. एन. एच.-9 और एन.एच.-21 शामिल है.
खेत की तैयारी एवं बुवाई की बात की जाए तो मिट्टी पलट हल या हैरो से खेत की गहरी जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा व समतल बनाकर 12000-14000 जड़ अथवा तने के टुकड़ो को प्रति हैक्टेयर की दर से लाइन से लाइन की दूरी 90-100 से.मी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 60 से.मी. रखते हुये लगाते हैं.
तने की कटिंग को 45 डिग्री के कोण पर इस प्रकार लगाते हैं कि उसकी एक गांठ भूमि के भीतर तथा एक गांठ भूमि के ऊपर रहे. बुवाई का उचित समय 15 फरवरी से जून के आखिरी तक है.
खाद एवं उर्ववरक के बारे में जानें
बुवाई से 2-3 सप्ताह पहले 125-150 क्विंटल गोबर की खाद खेत में डालनी चाहिए. इसके अतिरिक्त अन्य पोषक तत्व मृदा जांच के आधार पर देने चाहिये.
50-60 किग्रा नाइट्रोजन बुवाई के समय तथा प्रत्येक कटाई के बाद 15-20 किग्रा नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता पड़ती है.
सिंचाई के बारे में जानें
गर्मी में 10-12 दिन और ठंड में 15-20 के बाद सिंचाई करनी चाहिये. प्रत्येक कटाई के बाद सिंचाई करने से पुनर्वृद्धि अच्छी होती है.
इसकी पहली कटाई 80-90 दिन पर तथा इसके बाद 45-60 दिन पर करते हैं. कटाई भूमि से 15-20 से.मी. ऊपर करने से पुनर्वृद्धि अच्छी होती है.
संकर नेपियर की किस्मों से 1200-1600 तथा नवीन किस्मों से 2000 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से भी अधिक हरा चारा प्रति वर्ष प्राप्त किया जा सकता है.
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