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Alert: भारत के 162 जिलों में PPR रोग को लेकर जारी हुआ अलर्ट, यहां पढ़ें कैसे करें अपने मेवशी की हिफाजत

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प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली. पशु पालन में चाहे जो भी मवेशी को पालें मौसम के बदलने के साथ ही उसकी ज्यादा केयर की जरूरत होती है. अगर पशुपालक ने इसमें लापरवाही करते हैं तो पशु को नुकसान होता है और फिर इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ता है. मौजूदा वक्त में जिस तरह का मौसम है, उसमें मवेशियों का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है. क्योंकि गर्मी का मौसम अब बरसात में तब्दील हो रहा है. इस वक्त उमस भी ज्यादा है. कई जगहों पर बारिश भी हो रही है. दिन और रात के मौसम में काफी अंतर भी देखने को मिल रहा है. इसलिए जरूरी है कि बकरियों को बीमारियों से बचाया जाए.

पशुओं को लेकर काम करने वाली निविदा संस्था के मुताबिक इस मौसम में खास करके बकरियां को संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है. खुले में चरने के दौरान यह संक्रमण पशुओं के संपर्क में आ जाता है. इस समय बकरियों में पीपीआर रोग संक्रमण की संभावना सबसे ज्यादा होती है. वहीं जुलाई और अगस्त का महीना भी भेड़ और बकरियों के लिए कतई ठीक नहीं है. क्योंकि इस दौरान उन्हें बीमारी का खतरा है

इस राज्य में सबसे ज्यादा खतरा
रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई महीने में देश के 80 शहरों में पर रोग बकरी और भेड़ में फैल सकता है. वहीं अगस्त के महीने में 82 शहर इसकी चपेट में आ सकते हैं. जुलाई के महीने में सबसे ज्यादा खतरा झारखंड में है. इस राज्य के 22 जिले के पशु इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं. जबकि कर्नाटक की 11 जिले और वेस्ट बंगाल की 12 जिलों में सबसे ज्यादा खतरा बताया जा रहा है. अगस्त के महीने में भी सबसे ज्यादा खतरा झारखंड मे है. यहां के 18 जिलों में इस बीमारी के फैलने का खतरा है. जबकि कर्नाटक के 7 जिले इसकी चपेट में आ सकते हैं. वही वेस्ट बंगाल के 9 जिले इसी चपेट में आ सकते हैं. उत्तर प्रदेश में भी 7 जिलों में इस बीमारी का खतरा है.

भेड़-बकरियों को कैसे बचाएं
बता दें कि पीपीआर रोग से भेड़-बकरियों को बचाने के लिए उसका टीकाकरण महत्वपूर्ण उपाय में से एक है. इसके लिए कई पीपीआर टीके उपलब्ध है और इन्हें संवेदनशील जानवरों को लगाया जाता है. वैक्सीनेशन कराकर भेड़ व बकरियों को सुरक्षित किया जा सकता है. इसके अलावा रोग के फैलने से रोकने के लिए संक्रमित बकरियों को स्वस्थ जानवरों से अलग कर देना चाहिए. इनकी रिकवरी के लिए और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी दिया जाना चाहिए. पीपीआर रोग जिसे बकरी का प्लेग भी कहते हैं, 3 महीने की उम्र पर इसके लिए वैक्सीन लगाई जाती है. बूस्टर की जरूरत नहीं होती है. 3 साल की उम्र पर दोबारा लगवा सकते हैं. इन्‍टेरोटोक्‍समिया- 3 से 4 महीने की उम्र पर लगवा सकते हैं. अगर चाहें तो बूस्‍टर डोज पहले टीके के 3 से 4 हफ्ते बाद लगवा सकते हैं हर साल एक महीने के अंतर पर दो बार लगवाएं.

कैसे फैलता है ये रोग
पेस्टे डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स संक्रामक वायरल बीमारी है, जो बकरियां सहित जुगाली करने वाले पशुओं को प्रभावित करती है. ये आमतौर पर फुट एंड माउथ डिजीज के नाम से भी जाना जाता है. यह एक तेजी के साथ फैलने वाली बीमारी मानी जाती है. जो पशुओं खासकर बकरियां में भेड़ गायों और आदि जानवरों को प्रभावित करती है. अक्सर लोग इस रोग को बकरी का प्लेग भी कहते हैं. मुख्यता संक्रमित जानवरों के प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष संपर्क में रहने से फैलती है. यह वायरस खासकर बकरियों के श्वसन स्राव, नाक स्राव और दूषित उपकरणों के माध्यम से फैल सकता है. वायरस एक दूसरे से पशुओं में आसानी से फैल जाता है.

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Livestock Animal News

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