Home मछली पालन Seafood की घरेलू-इंटरनेशनल डिमांड पूरा करेगा अंडमान निकोबार, सरकार ने उठाया ये अहम कदम
मछली पालन

Seafood की घरेलू-इंटरनेशनल डिमांड पूरा करेगा अंडमान निकोबार, सरकार ने उठाया ये अहम कदम

fish farming
प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. मत्स्य पालन पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने हाल ही में प्रधानमंत्री मछली संपदा योजना (PMMSY) के तहत अंडमान निकोबार द्वीप समूह को टूना मछली का क्लस्टर बनाया है. अब अंडमान निकोबार दीप समूह को सीफूड की घरेलू इंटरनेशनल डिमांड पूरा करने के लिए हब बनाने की तैयारी है और इसी को देखते हुए 14 नवंबर को यहां इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें देश-विदेश की फिशरीज से जुड़ी बड़ी-बड़ी कंपनियां केंद्रीय मंत्री और विभाग के तमाम बड़े अफसर शामिल होंगे. जो सीफूड उत्पादन को बढ़ावा देने के मुद्दे समेत अन्य मसलों पर अपना विचार रखेंगे.

गौरतलब है कि सीफूड की घरेलू और इंटरनेशनल डिमांड को पूरा करने और एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने की मकसद से अंडमान निकोबार द्वीप समूह की चर्चा खूब हो रही है. 14 नवंबर को इन्वेस्टर्स मीट में समुद्र में मछली पकड़ने से लेकर ट्रांसपोर्ट और प्रोसेसिंग जैसे तमाम अहम मुद्दों पर चर्चा होगी और इसके अवसर तलाशे जाएंगे. एक्सपर्ट का कहना है कि इस इलाके में टूना मछली के अलावा ऐसी मछलियां हैं, जिससे यहां के मछुआरों की जिंदगी में बदलाव हो सकता है और यह इलाका सीफूड हब बन सकता है.

इन वजहों से बनाया जा रहा है हब
फिशरीज डिपार्टमेंट के अफसर का कहना है कि अंडमान द्वीप समूह एक ऐसा इलाका है, जहां पर मछली पालन और एक्वाकल्चर को बढ़ावा देने और एक्सपोर्ट की तमाम संभावनाएं हैं. यह इलाका दक्षिण पूर्व एशिया से नजदीक होने की वजह से राजनीतिक भौगोलिक स्थिति और अपार समुद्री संसाधन का भरपूर है. जिसका फायदा उठाया जा सकता है. यहां पर विकसित बंदरगाह सुविधा भी हैं, जो बड़े मछली पकड़ने वाले जहाज को एडजस्ट कर सकते हैं. वहीं जरूरत के मुताबिक शिपिंग और हवाई अड्डे के बुनियादी ढांचे भी यहां पर मौजूद हैं. इसी साल अक्टूबर में इंटरनेशनल उड़ान भी शुरू हो चुकी है. इस वजह से इंटरनेशनल मार्केट के साथ अंडमान द्वीप समूह का सीधा संपर्क है.

मछुआरों को मिलेगा फायाद, एक्सपोर्ट भी बढ़ेगा
सबसे अहम बात यह है कि इस इलाके में सीफूड का भंडार है. एक आंकड़े पर गौर किया जाए तो यहां से 1.48 लाख टन हर साल सीफूड प्रोससे किया जा सकता है लेकिन सिर्फ 49 हजार टन सीफूड ही अभी प्रोसेस हो रहा है. यही वजह है कि मत्स्य पालन विभाग और केंद्र सरकार अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप के द्वीप क्षेत्र में मछली पालन को बढ़ावा देने का काम कर रही है. ताकि इस इलाके के लोगों को इसका भरपूर फायदा मिल सके. वहीं एक्सपोर्ट बढ़ने से भी भारत को इसका फायदा मिलेगा. कहा जा रहा है कि टूना मछली जैसे बहुमूल्य संसाधन इस इलाके में है. इससे न सिर्फ मछली उत्पादन बल्कि मछुआरों को भी फायदा होगा.

इस वजह से हो रही है इन्वेस्टर मीट
निजी क्षेत्र और व्यावसायिक समुदाय को चुनौतियां कमियां और ताकतों की पहचान इस मीट में होगी. मौजूदा पहलुओं और प्रथाओं पर जानकारी साझा की जाएगी. नई तकनीक पर जानकारी दी जाएगी. दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र मछली पालन, एक्वाकल्चर की गतिविधियों में शामिल होंगी. क्षेत्र के बीच नेटवर्क को बढ़ावा दिया जाएगा. वहीं मछली पालन एक्वाकल्चर में शामिल निजी क्षेत्र के बीच व्यावसायिक अवसरों की भी तलाश होगी.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

CIFE will discover new food through scientific method
मछली पालन

Fisheries: कहां मछलियों को बेचकर की जा सकती है ज्यादा कमाई, जानें यहां

इसलिए उसका दाम भी ज्यादा होता है. अगर आप मछली पलक हैं...

fishermen beware! Fish may die due to increasing frost, increase oxygen level in pond, livestockanimalnews
मछली पालन

Fish Farming: मछली पालन में इस तरह फीड का खर्च होगा कम, उत्पादन भी मिलेगा ज्यादा

इसके लिए आपको उसका चूरन बनाना पड़ेगा. क्योंकि बकरी का मल कड़ा...