नई दिल्ली. पशुपालन में मवेशियों को हर तरह की बीमारियों से बचाने की जरूरत होती है. यदि पशु बीमार हो जाता है तो सबसे पहला असर उसके दूध उत्पादन पर पड़ता है. वहीं पशु जब गंभीर रूप से बीमार हो जाते हैं तो उनकी सेहत खराब हो जाती है और उनकी मौत भी हो जाती है. इससे पशुपालन में बड़ा नुकसान हो जाता है. आपको बता दें कि कई बार पशुओं के कान में संक्रमण होने से मवाद बहने की समस्याएं भी होती हैं. इस वजह से पशुओं को कई तरह की दिक्कत हो सकती हैं. ऐसे में वक्त रहती ही पशु का इलाज कराना बेहतर होता है. नहीं तो यह समस्या और ज्यादा गंभीर हो सकती है. आईए जानते हैं कि पशु के कान में इंफेक्शन हो जाए और मवाद बहने लगे तो इसका कैसे इलाज किया जा सकता है.
एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि पशु को कान में इंफेक्शन होने से उसके कान में रिसाव मवाद के कारण होता है और मवाद हरा सफेद या भूरे रंग का हो सकता है. इसके चलते कान में तेज दर्द होता है. कान खुजलाने रगड़ने और हिलाने की वजह पशुओं का दर्द और ज्यादा हो जाता है. कान की नली में सूजन भी आ जाती है. पशु के संतुलन में कमी हो जाती है. आंखें आसमान रूप से आगे पीछे घूमने लगती हैं. पशु के सुनने की क्षमता पर भी असर पड़ता है.
क्यों होता है इंफेक्शन जानें यहां
एक्सपर्ट के मुताबिक पशु की यह समस्या कई बार एलर्जी की वजह से होती है. वहीं कान में मैल जमा होने की वजह से, कान में नमी और कीड़ों की वजह से होती है.
जबकि ट्यूमर शारीरिक चोट के कारण भी कान में इस तरह की दिक्कतें आती हैं. अगर इसके इलाज की बात की जाए तो पशु चिकित्सक कान में डालने वाली दवाओं से इसका इलाज करते हैं.
कई बार एंटीबायोटिक दवाई भी देनी पड़ती है. वहीं कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स या एंटीफंगल दवाओं से इस समस्या का इलाज किया जा सकता है.
एक्सपर्ट कहते हैं कि इस तरह की समस्याएं होने पर पशु चिकित्सक से सलाह लेकर ही इलाज कराना चाहिए.
देसी इलाज भी कर सकते हैं पशुपालक
हालांकि आप चाहें तो कुछ घरेलू इलाज भी आजमा सकते हैं. अगर इससे फायदा न हो तो पशु चिकित्सक से संपर्क भी करना चाहिए.
घरेलू उपचार की बात की जाए तो पशु के कान में नीम का तेल डाला जा सकता है और तुलसी के तेल से भी फायदा होता है. हालांकि नीम का तेल ज्यादा इफेक्टिव होता है.
नीम के तेल को एक छोटी सीरिंज में भरकर पशु के कान में अगर डाल दिया जाए तो इससे पशु को जल्दी राहत मिल सकती है.
अगर नीम का तेल न मिले तब तुलसी का तेल इस्तेमाल किया जा सकता है. वहीं इसके साथ-साथ आप पशु चिकित्सक से भी पशु के कान में हुए इन्फेक्शन का इलाज करवाना चाहिए.
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