नई दिल्ली. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के बारे में ज्यादातर लोग जान और समझ चुके हैं लेकिन आर्टिफिशियल इंसेमीनेशन के बारे में कम ही लोग जानकारी रखते हैं. ये एआई यानी आर्टिफिशियल इंसेमीनेशन तकनीकी पुशओं के लिए इस्तेमाल की जाती है. पशु पालन में इस टेक्नोलॉजी के प्रयोग से कई कीर्तिमाल स्थापित हो रहे हैं. इसका प्रयोग ज्यादातर गाय, भैंस और भेंड़-बकरी पर किया जास रहा है. यही वजह है कि छोटे से लेकर बड़े पशुपालक इसका जमकर लाभ ले रहे हैं. इसमें बहुत से किसान ज्यादा दूध तो बहुत से पशुपालक ज्यादा वजन का बच्चा भी पैदा करा रहे हैं.
एआई तकनीक का लाभ उठा रहे पशुपालक
केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा में इस टेक्नोलॉजी का प्रयोग जमकर किया जा रहा है. इस तकनीक का प्रयोग गाय-भैंस पर किया जाता है. डेयरी फार्म में सिर्फ ज्यादा दूध देने वाली ज्यादा से ज्यादा बछिया पैदा की जा रही हैं. इस तकनीक की मदद से ही ज्यादा दूध देने वाली गिर गाय और मुर्रा भैंस का कुनबा बढ़ाने की कोशिशें भी चल रही हैं. केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक के अनुसार यह जरूरी नहीं है कि बकरी को गर्भवती कराने के लिए उसकी मीटिंग बकरे के साथ कराई जाए. आर्टिफिशल इंसेमीनेशन तकनीक से भी बकरी गर्भवती हो सकती है. इस तकनीक का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसकी मदद से आप अपनी पसंद और जरूरत के हिसाब से भी बच्चा पैदा करवा सकते हैं.
ऐसे गाभिन कराने से पा सकते हैं अच्छे बकरे-बकरी
केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान सीनियर साइंटिस्ट चेतना गंगवार के अनुसार कि आर्टिफिशियल इंसेमीनेशन टेक्नोलॉजी से बकरियों को गाभिन किया जा रहा है. इसका सबसे बड़ा लाभ ये है कि बकरी को एक अच्छे नस्ल के बकरे का वीर्ये मिल जाता है. जिससे बकरी अच्छे और स्वास्थ बच्चे को जन्म देती है. दूसरा यह कि किसान जाने-अनजाने में बकरी को गाभिन कराने के लिए एक ऐसे बकरे के पास ले जाते हैं जिसके बारे में उन्हें यह भी पता नहीं होता कि बकरा उस नस्ल का है भी या नहीं कि जिस नस्ल की उनकी बकरी है.बकरे की बीमारियों और उसकी फैमिली के बारे में भी किसानों को कोई बहुत ज्याकदा जानकारी नहीं होती है.
वीर्य के साथ दी जा रही बकरे की फैमिली ट्री
डॉक्टर चेतना गंगवार ने बताया कि एआई यानी आर्टिफिशल इंसेमीनेशन से बकरी को गाभिन कराने के लिए संस्थान वीर्य की स्ट्रा भी बेचता है. सिर्फ लागत रेट पर यह स्ट्रा बेची जाती हैं. नस्ल सुधार कार्यक्रम के तहत यह योजना चलाई जा रही है. एक स्ट्रा की कीमत 25 रुपये होती है. जबकि किसान जब बकरी को लेकर बकरे के पास जाता है तो उसे 150 से 200 रुपये देने होते हैं. स्ट्रा के साथ एक सुविधा यह भी है कि किसान को उस बकरे और उसकी मां के बारे में पूरी जानकारी यानि फैमिली ट्री भी दिया जाता है.
मनपसंद बकरे का वीर्य ले सकते हैं पशुपालक
डॉक्टर चेतना गंगवार बताते हैं कि किसान को फैमिली ट्री देने से उसके पास भी यह रिकॉर्ड रहेगा कि बकरे की मां कितना दूध देती थी. खुद बकरे का वजन कितना था. फुर्तीला था या नहीं और बीमारियों से मुक्त था या नहीं. इतना ही नहीं सीआईआजी एक से ज्यादा बकरों के वीर्य की स्ट्रा अपने स्टाक में रखता है. इसलिए अगर आपको एक बकरा पसंद नहीं आया तो दूसरे और दूसरा नहीं तो तीसरे, चौथे समेत कई बकरों के बीच वीर्य का चुनाव कर सकते हैं.
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