नई दिल्ली. बकरीद में आज से महज 12 दिन बाकी है. अगर, सही वक्त पर चंद दिख गया तो 17 जून 2024 को बकरीद हो जाएगी. अब बड़ी संख्या में मुस्लिमों ने बकरे खरीदना शुरू कर दिया है. किसान भी बड़ी संख्या में अलग-अलग नस्ल के बकरों को लेकर मंडियों में आ रहे हैं. मगर, इन दिनों सबसे ज्यादा कुछ खास नस्ल के बकरों की डिमांड बनी हुई है. ये बकरे देखने में तो खूबसूरत है हीं, मटन के मामले में भी बाकी अन्य नस्लें से ज्यादा बेहतर है.बकरीद पर ज्यादातर पांच-छह तरह की नस्ल के बकरों की खूब डिमांड होती है. इनमें बरबरा, सिरोही, जमुनापारी, तोतापरी, जखराना नस्ल प्रमुख होती है. हालांकि देसी नस्ल का बकरा हर जगह मिल जाता है इसलिए वो सबसे ज्यादा बिकता है.
बकरीद के लिए भारत में बड़े पैमाने पर बकरों का पालन किया जा रहा है. बकरी पालन से लोग जुड़कर लाखों में कमा रहे हैं. कुछ किसान तो बकरीद के लिए पूरी साल बकरों को पालते हैं. इसमें भी बकरों की कुछ नस्ल ऐसी हैं, जिन्हें पालकर किसान व पशु पालक मोटी कमाई करते है, क्योंकि मुस्लिक कुरबानी क लिए कुछ खास तरह की नस्ल को पसंद करते हैं. इन दिनों मंडी में कई तरह की नस्ल क बकरे आ रहे हैं, जिसकी खास डिमांड बनी हुई है. बता दें कि बरबरा, सिरोही, जमुनापारी, तोतापरी, जखराना नस्ल के बकरों की काफी डिमांड है. इन बकरों की क्यों रहती है डिमांड हम आपको नीचे दी गई खबर में बता रहे हैं. वैसे तो देश में बकरी की 37 नस्ल होती हैं, क्षेत्र के हिसाब से इन नस्लों की बिक्री होती है लेकिन बकरों की कुछ खास नस्ल हैं, जिनकी डिमांड मार्केट में ज्यादा रहती है.
तंदरुस्त बच्चा देता है अच्छा मुनाफा
वृंदावन स्थित स्टार साइंटफिक गोट फार्मिंग के संचालक राशिद कुछ लोग बकरों की नस्ल पर भी बहुत ध्यान देते हैं. हालांकि जगह और क्षेत्र के हिसाब से लोग बकरों की ब्रीड को लेते हैं. कोई बरबरा तो कोई तोतापरी तो कोई सिरोही नस्ल के बकरों को पसंद करता है. जब बकरा अच्छा और खूबसूरत होता है तो वो किसान, पशुपालक और बकरी फार्म संचालक को मोटा मुनाफा भी देकर जाता है. आइए जानते हैं बकरीद पर किस तरह के बकरों की डिमांड मार्केट में रहती है.
देसी की भी होती है खूब डिमांड
देशभर में बकरीद 17 जून-2024 को मनाई जाएगी. इसकी तैयारियां गोट फार्म संचालकों ने पहले से ही कर दी हैं. बकरीद पर ज्यादातर पांच-छह तरह की नस्ल के बकरों की खूब डिमांड होती है. इनमें बरबरा, सिरोही, जमुनापारी, तोतापरी, जखराना नस्ल प्रमुख होती है. हालांकि देसी नस्ल का बकरा हर जगह मिल जाता है इसलिए वो सबसे ज्यादा बिकता है. मंडियों में 35-55 किलो वजन के बकरे की मांग ज्यादा होती है. वहीं कुछ लोग बकरों की नस्ल पर भी बहुत ध्यान देते हैं.
जखराना बकरा यहां मिलता है
जखराना नस्ल का बकरा राजस्थान में अलवर जिले के जखराना गांव में मिलता है.मोहम्मद राशिद कहते हैं कि इस नस्ल के बकरे बहुत ज्यादा नहीं मिलते.जखराना बकरे का वजन 50 से 55 किलो तक हो जाता है. बकरी 45 किलो वजन तक की होती है.
खूबसरती के मामले में बरबरा बकरा सबसे आगे
बरबरे नस्ल की बकरा-बकरी उत्तर प्रदेश के आगरा-अलीगढ़ मंडल में सबसे ज्यादा डिमांड रहती है इस नस्ल के बकरों की डिमांड सबसे ज्यादा बकरीद पर रहती है. इन बकरों की नस्ल का वजन 35-40 किलो वजन तक हो जाता है. 25 किलो से लेकर 50 किलो तक का बकरा सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है.
मटन के मामले में तोतापरी बकरे की डिमांड
तोतापरी नस्ल की बकरा राजस्थान में पाई जाती है. इस नस्ल की बकरियों को दूध और मांस दोनों के लिए पाला जाता है. एक बकरे का वजन करीब 40 से 70 किलो के बीच में होता है, तोतापुरी खुद को किसी भी वातावरण और जलवायु के साथ आसानी से अपना सकती है.
सिरोही बकरे की हर राज्य में मांग
सिरोही बकरे की नस्ल राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश राज्यों में पाई जाती है. इस नस्ल के बकरे सबसे ज्यादा और हर जगह आसानी से मिल जाते हैं. इसलिए इस बकरे की डिमांड भी खूब होती है. इस नस्ल की बकरियां आकार में मध्यम होती हैं. इनके शरीर का रंग लाल और काले-सफेद धब्बे होते हैं.
गोट फार्म या किसान से खरीदें बकरा
स्टार साइंटफिक गोट फार्मिंग के संचालक व सीआईआरजी के प्रशिक्षक राशिद कहते हैं जब भी बकरा खरीदो तो उसकी जांच जरूर कर लो. कहीं ऐसा तो नहीं कि व्यापारी बकरे को कुछ खिला-पिलाकर लाया हो और लोगों को बेच दे. इसलिए कोशिश करो कि बकरा फार्म से ही खरीदें या फिर किसान से. बकरा एक्टिव और चमकदार होना चाहिए.
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