हिसार. अगर आप पशुपालक उसमें भैंस पालते हैं तो आपके लिए एक बेहद शानदार खुशखबरी है.हरियाणा के हिसार स्थित केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान द्वारा एम-29 भैंसे के तैयार किए उच्च नस्ल के 7 कटड़ों के क्लोन से भी वैज्ञानिकों ने 20 हजार से अधिक सीमन टीके तैयार किए हैं, जिन्हें सरकार की अनुमति मिलते ही हरियाणा के अलावा देश के दूसरे राज्यों के पशुपालकों को कम मूल्य पर उपलब्ध कराया जाएगा. इसके अलावा दूध उत्पादन बढ़ाने के मकसद से संस्थान के वैज्ञानिकों ने भैंस के क्लोन को लेकर भी रिसर्च शुरू कर दी है. जल्द ही इसमें भी कामयाबी मिलने की पूरी उम्मीद है. संस्थान के निदेशक डॉक्टर टीके दत्ता और प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर सजन सिंह ने बताया कि एम-29 के तैयार किए गए 7 क्लोन की उम्र डेढ़ साल से लेकर ढाई साल के बीच हो चुकी है. टीकों को पशुपालकों को देने के लिए सरकार से अनुमति मांगी गई है. सरकार से परमीशन मिलते ही टीकों का वितरण शुरू कर दिया जाएगा.
क्लोन बनाने को भैंसे की पूंछ से के नीचे से लिया जाता है सेल
केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान के क्लोनिंग प्रभारी डॉक्टर पीएस यादव ने बताया कि क्लोन एक वैज्ञानिक पद्धति है, जिसमें यौन संबंधों के बिना पशु की हुबहू कॉपी बनाई जाती है. इसके लिए सबसे पहले इंवेटे की पूंछ के नीचे से सेल लिया है. इस को लैब में विकसित करते है और कुछ दिन बाद अच्छी नस्ल की भैंस के गर्भ में रखा जाता है. इसके बाद भैंस की उब्य निगरानों की जाती है. क्लोन तैयार करने पर 8 से 10 लाख का खर्च आता है.
सीमन के टीके बेचकर बढ़ा सकते हैं आमदनी
प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर सज्जन सिंह के मुताबिक, एम-29 क्लोन की मां एक समय में 29 किलो तक दूध देती है. इसके अलावा उसकी बछिया भी पहले व्यात में ही 15 से लेकर 16 किलो तक दूध दे रही हैं. अब क्लोन से जन्मी कड़िया या फिर अन्य भी उच्च नस्ल के होंगे, जिससे पशुपालक अपनी आमदनी को भी बढ़ा सकेंगे. भैंसे के सीमन के टीके बेचकर भी पशुपालक आमदनी को बढ़ा सकते हैं.
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