नई दिल्ली. मध्य प्रदेश में सीएम डॉ. मोहन यादव की नेतृत्व वाली सरकार दूध उत्पादकों की इनकम को बढ़ाने की दिशा में मजबूती से काम कर रही है. सरकार की पहल से न सिर्फ पशुपालकों की इनकम बढ़ेगी बल्कि राज्य में दूध उत्पादन भी बढ़ेगा. सरकार का दावा है कि दूध समितियों की संख्या में आने वाले समय में इजाफा किया जाएगा. एमपी स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड और इससे संबंधित दूध संघों और राष्ट्रीय डेयरी विकास बेर्ड (एनडीडीची) के मध्य हुए इस अनुबंध की अवधि 5 वर्ष होगी, जिसका आपसी सहमति से विस्तार किया जा सकेगा.
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि महा स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड और संबंधित दूध संघों और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के बीच ओएमयू (कोलेबोरेशन एग्रीमेंट) साइइन किया गया है. जिससे राज्य में दूध उत्पादन में क्रांति आएगी. दूध उत्पादन के क्षेत्र में ये एग्रीमेन्ट प्रदेश सरकार की बढ़ी उपलब्धि के तौर पर गिनाया जा रहा है. इसके तहत मुख्य रूप से प्रत्येक ग्राम पंचायत में कलेक्शन सेन्टर स्थापित किए करने की बात कही जा रही है. दूध संघों की प्रोसेसिंग क्षमता में इजाफा किया जा रहा है. इन सबके रिजल्ट में दूध उत्पादकों की इनकम बढ़ेगी.
2500 करोड़ का होगा निवेश
सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि राज्य सरकार के संकल्प पत्र- 2023 में प्रदेश में दूध की खरीद तय करने और डेयरी किसानों दूध की सही कीमत दिलाना शामिल है. हर गांव और डेयरी सहकारी समिति एवं कालेक्शन सेंटर खोले जाने और स्वेत क्रांति मिशन के तहत 2500 करोड़ के निवेश से प्रत्येक जिले में सांची डेयरी के साथ मिल्क कूलर, निजी डेयरी की संख्या में इजाफा किया जाएगा. इन संकल्पों को पूरा करने में यह एग्रीमेंट बेहतर साबित होगा. कहा कि दूध की खरीद सुविस्थित करने और किसानों को सही कीमत दिलाने में मदद की जाएगी. वर्तमान में प्रदेश में समितियों की संख्या 6 हजार है, जिसे बढ़ाकर 9 हजार किया जाएगा.
3500 करोड़ हो जाएगी दूध उत्पादकों की आय
मुख्यमंत्री ने कहा कि एनडीडीबी ने कुछ (एमपीओ) के माध्यम से कवर किए गए नापी को 1300 से बढ़वार किया 2500 किया जाएगा. दूध खरीद को 1 लाख से बढ़कर 37 लाख लीटर प्रतिदिन किया जाएगा. साथ ही दूध संघों की प्रोसेसिंग क्षमता में इजाफा किया जाएगा. वर्तमान में डेयरी प्लाट की क्षमता 10 लाख लीटर प्रतिदिन है, जिसे बढ़ाकर 30 लाख लीटर प्रतिदिन किया जाएगा. इस तरह अताले 5 साली में लगलम 1500 करोड़ रुपए का निर्देश किया जाएगा. दुग्ध उत्पादक की तुल वार्षिक 1700 करोड़ रुपए से दोगुना कर 3500 करोड़ की जाएगी.
Leave a comment