पटना. क्या कभी आपने सुना है कि कोई भैंसा आपको साल में 25 लाख रुपये कमाकर दे सकता है. अब लोगों का जवाब होगा नहीं. मगर, आपको एक ऐसे भैंसे की रील नहीं रीयल स्टोरी बता रहे हैं, जिसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे. जो स्टोरी लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के डिजिटल प्लेटफार्म पर आप पढ़ रहे हैं वो सौ आना सच है. अब पूरी खबर को नीचे तक पढ़ेंगे तो हकीकत आपके समझ में आ जाएगी.
ये मुर्रा नस्ल के भैंसा गोलू-2
बिहार के पटना में वेटरनटी कॉलेज ग्रांड पर आज यानी 21 दिसंबर 2023 से पशु एक्सपो शुरू हो रहा है. इसमें देश के हर कोने-कोने से किसान अपने पशुओं को लेकर उनकी नुमाइश करते हैं. इसी में एक ऐसा भैंसा देखने को मिला, जिसके बारे में लोग जानकर हैरान रह गए.ये मुर्रा नस्ल के भैंसा गोलू-2 है, जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. ये भैंसा बिहार का नहीं बल्कि हरियाणा का है. हरियाणा के किसान और गोलू-2 के मालिक नरेंद्र सिंह अपने भैंसे को लेकर पटना पशु एक्सपो में पहुंचे. जैसे ही गोलू-2 पर लोगों की नजर पड़ी वैसे ही बड़ी तादाद में किसान और व्यापारियों ने गोलू को घेर लिया और नरेंद्र सिंह ने इसके बारे में जानकारी की.
गोलू-2 की कुछ खास बातें
पद्मश्री से सम्मानित किसान नरेंद्र सिंह अपने भैंसे को घोल्लू बुलाते हैं. इसकी कीमत करीब 10 करोड़ रुपये आंकी गई है. नरेंद्र सिंह बताते हैं कि छह साल के भैंसे गोलू-2 उनके घर तीसरी पीढ़ी है. इसके दादा का नाम गोलू था. उसका बेटा बीसी 448-1 को गोलू-1 कह सकते हैं. यह गोलू का पोता है.
गोलू-2 का सीमेन बेचकर हर साल करीब 25 लाख रुपये की कमाई करते हैं.
गोलू-2 की खुराक में ड्राई फ्रूट शामिल रहता है.
गोलू-2 का वजन करीब 15 क्विंटल है, जबकि ऊंचाई करीब साढ़े पांच फीट है.
गोलू-2 की चौड़ाई साढ़े तीन फुट है.
ये भैंसा दिन में करीब 35 किलोग्राम सूखा और हरा चारा के अलावा चने खाता है.
डाइट में 7-8 किलोग्राम गुड़ भी शामिल किया जाता है.
गोलू-2 को कभी-कभार घी और दूध भी दिया जाता है.
गोलू-2 के खाने पर प्रति माह तकरीब 30 से 35 हजार का खर्चा आता है.
30 हजार बच्चों का बाप है गोलू-2
हरियाणा में पानीपत जिले के डिडवारी गांव के रहने वाले पदृमश्री से सम्मानित पशुपालक किसान नरेंद्र सिंह बताते हैं कि हमें पशुपालन क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए 2019 में पद्मश्री पुरस्कार मिल चुका है. गोलू-2 अपने पिता और दादा से बेहतर भैंसा है. गोलू-2 के सीमन से अब तक करीब 30 हजार बच्चे पैदा हो चुके हैं. गोलू का सीमन देश में नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में भी काफी डिमांड है. हालांकि नरेंद्र सिंह सप्लायर को नहीं, सिर्फ किसान पशुपालकों को ही सीमेन देते हैं. ये उनकी अच्छी खूबी है.
इस नस्ल के भैंसे की औसत आयु करीब 20 वर्ष
पदृमश्री से सम्मानित पशुपालक किसान नरेंद्र सिंह ने बताया कि गोलू-2 की सेवा करने के लिए पूरा परिवार लगा रहता है. उन्होंने बताया कि हमारा प्रयास है कि देश में अच्छे सीमन की प्रयोग करके अच्छे नस्ल की भैंस और भैंसे तैयार किए जाए, जिससे देश में ज्यादा दूध और बच्चे देने वाली भैंस तैयार हों. नरेंद्र सिंह कहते हैं कि गोलू-2 भैंसे देशभर में लेकर जाते हैं. इसी वजह से पटना भी लेकर आए. नरेंद्र सिंह ने बताया कि लंपी बीमारी की वजह से दो साल से किसी भी एक्सपो में लेकर नहीं गए. अभी गोलू-2 अब छह साल का हो गया है. इस नस्ल के भैंसे की औसत एवरेज एज करीब 20 साल होती है. इसलिए 14 साल तक इसे सुरक्षित रखना चुनौती है.
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