Home पशुपालन Animal Fodder: पशुओं को हरे चारे के साथ कितना देना चाहिए सूखा चारा, इसके क्या हैं फायदे
पशुपालन

Animal Fodder: पशुओं को हरे चारे के साथ कितना देना चाहिए सूखा चारा, इसके क्या हैं फायदे

ब्रुसेलोसिस ब्रुसेला बैक्टीरिया के कारण होता है जो मुख्य रूप से पशुधन (जैसे गाय, भेड़, बकरी) में पाए जाते हैं.
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. पश्चिमी राजस्थान के मरू जैसे इलाकों में चारा उत्पादन का विशेष अहमियत है. इसका कारण यह है कि यह इलाका कृषि से ज्यादा पशु पालन पर निर्भर है. पश्चिमी राजस्थान में मुख्यतया बीकानेर, जैसलमेर व बाड़मेर जिले पशुपालन व उसकी चारा व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है. इन जिलों में बारिश कम होती है और उसकी अनिश्चितता भी रहती है. इस क्षेत्र में आमतौर पर सूखा देखने को मिलता है. इसलिए बारिश के पानी का संरक्षण और सिंचाई के अन्य स्त्रोतों से चारा उत्पादन का अत्यधिक महत्व रखता है. चारा उत्पादन की अहमियत सफल पशुपालन के लिए बेहद ही जरूरी है.

एक्सपर्ट का कहना है कि चारे का उत्पादन वर्तमान की जरूरतों के लिए और भविष्य में सूखे की स्थिति का सामना करने की दृष्टि से करना चाहिए. पिछले वर्षों में कई बार सूखा पड़ने पर इस क्षेत्र के किसानों को चारे के संकट का किस प्रकार सामना करना पड़ा, इस बात को सभी जानते हैं. भविष्य में पशुओं को दुर्दशा नहीं झेलनी पड़े, इसके लिए चारा उत्पादन और आवश्यक स्टोरेज जरूरी है. चारा उत्पादन चरागाहों से, फसल उत्पादन से व अन्य तरीके जैसे कृषि वानिकी, चरागाह वानिकी आदि से किया जा सकता है.

चारा मैनेजमेंट क्यों है जरूरी
सफल और फायदेमंद पशु पालन के लिए उचित चारा प्रबन्धन की आवश्यकता होती है. चारा सूखा एवं हरा दो प्रकार का होता है. सूखा चारा तो पशुओं को सभी खिलाते है लेकिन हरा चारा भी पशुओं को कुछ मात्रा में सूखे चारे के साथ खिलाना चाहिए. खासतौर पर दूध देने वाले पशुओं को हरा चारा अधिक व गुणवत्तायुक्त दूध प्राप्त करने के लिए खिलाना चाहिए. हरा चारा खिलाने के कई फायदे हैं. सूखे चारे में हरा चारा मिलाकर खिलाने से जानवर सूखे चारे को भी आराम से खा लेते हैं. इस तरह से सूखे चारे का अच्छा उपयोग भी हो जाता है. हरा चारा खिलाने से पशुओं को संतुलित पोषण मिलता है और कई बीमारियों से पशुओं का बचाव हो जाता है.

कितना खिलाना चाहिए चारा
रिसर्च के आधार पर यह पाया गया है कि दुधारू गाय और भैंस को अन्य पशु आहार के साथ 10 किलो ग्राम हरे चारे की प्रतिदिन आवश्यकता होती है. दूधे देने वाली बकरी को 2 किलोग्राम हरा चारा अन्य चारे के साथ खिलाना चाहिए. ऊंट को भी 10 कि.ग्रा. हरे चारे की प्रति दिन आवश्यकता होती है. उचित चारा प्रबन्धन के लिए किसान को अपने सभी चारे के स्त्रोतों को अपने खेत पर लगा कर उससे अधिक से अधिक चारा प्राप्त करके अपनी आवश्यकता की पूर्ति के साथ ही अधिक मात्रा में प्राप्त चारे का भंडारण उचित प्रकार से करना चाहिए.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

livestock animal news
पशुपालन

Animal Husbandry: अलग-अलग फार्म से खरीदें पशु या फिर एक जगह से, जानें यहां

फार्मों में अलग-अलग स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए संक्रमण के प्रवेश...

livestock animal news
पशुपालन

Milk Production: ज्यादा दूध देने वाली गायों को हीट से होती है परेशानी, जानें क्या है इसका इलाज

उच्च गुणवत्ता-युक्त अधिक दूध प्राप्त होता है, लेकिन ज्यादा तापमान युक्त हवा...

ब्रुसेलोसिस ब्रुसेला बैक्टीरिया के कारण होता है जो मुख्य रूप से पशुधन (जैसे गाय, भेड़, बकरी) में पाए जाते हैं.
पशुपालन

Animal Husbandry: बरसात में पशुओं को इस तरह खिलाएं हरा चारा, ये अहम टिप्स भी पढ़ें

बारिश के सीजन में पशुओं को चारा नुकसान भी कर सकता है....

पशुपालन

CM Yogi बोले- IVRI की वैक्सीन ने UP में पशुओं को लंपी रोग से बचाया, 24 को मिला मेडल, 576 को डिग्री

प्रदेश सरकार के साथ मिलकर 2 लाख से अधिक कोविड जांच करवाईं....