Home पशुपालन Animal Pregnant : गाभिन पशु से हेल्दी बच्चा लेना चाहते हैं पशुपालक, आहार खिलाने को अपनाएं ये ट्रिक
पशुपालन

Animal Pregnant : गाभिन पशु से हेल्दी बच्चा लेना चाहते हैं पशुपालक, आहार खिलाने को अपनाएं ये ट्रिक

infertility in cows treatment
गाय की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. गर्भावस्था के समय मादा पशु का विशेष रूप से ख्याल रखना और जरूरी पोषण देना बहुत जरूरी होता है. क्योंकि अगर गाभिन पशुओं का ख्याल ठीक ढंग से नहीं रखा गया तो फिर ​न ही हेल्दी बच्चा पैदा होगा और न ही उत्पादन मिलेगा. अगर बच्चा पेट में ही बीमार पड़ गया और पैदा होने के बाद उसकी मौत हो गई तो फिर पशु दूध उत्पादन कम कर देते हैं. ऐसे में पशुपालकों को नुकसान उठाना पड़ता है. इसलिए पशुपालकों के लिए ये जानना बेहद जरूरी होता है कि गाभिन पशु को क्या खिलाएं. उनका आवास प्रबंधन कैसे करें और क्या-क्या किया करें कि पशु कोई परेशानी न हो.

पशु विज्ञान केन्द्र, झुंझुनूं के डॉ. प्रमोद कुमार, डॉ. विनय कुमार के मुताबिक इस दौरान दाने में 40-50 ग्राम खनिज लवण मिश्रण अवश्य मिलाना चाहिए. हरा चारा दिन में 40-50 किलोग्राम एवं हरे चारे में बरसीम, ज्वार और मक्की का प्रयोग कर सकते हैं. पशु को 3-4 किलोग्राम दाना देना चाहिए जिसमे मक्का, गेहूं, बाजरा और सरसों की खल का मुख्यतः प्रयोग कर सकते हैं. पशु के चारे में 40-50 ग्राम खनिज मिश्रण का प्रयोग करना चाहिए. गर्मियों में पशु को पीने का पानी हर समय उपलब्ध होना चाहिए.

पशुओं का आवास का इंतजामः

  • गाभिन पशु को आठवें महीने के बाद अन्य पशुओं से अलग रखना चाहिए. पशु का बाड़ा उबड़-खाबड़ और फिसलन वाला नहीं होना चाहिए.
  • बाड़ा ऐसा होना चाहिए जो वातावरण की खराब परिस्थितियों जैसे अत्याधिक सर्दी, गर्मी और बरसात से मादा पशु को बचाया जा सके और साथ में हवादार भी हो.
  • आवास में कच्चा फर्श अवश्य हो और फर्श का ढलान निकासी की नाली की तरफ होना चाहिए.
  • पशु के आवास में सीलन नहीं होनी चाहिए. स्वच्छ पीने के पानी का प्रबन्ध हर समय आवास में होना चाहिए.
  • गर्मियों के दिनों में पशु के आवास में पंखा या कूलर का प्रयोग कर सकते हैं.
  • सर्दियों के मौसम में पशु को सर्दी से बचने के लिए पर्दो का प्रयोग कर सकते हैं.

पशुओं का सामान्य मैनेजमेंटः मादा पशु अगर दूध दे रही हो तो ब्याने के दो महीने पहले उसका दूध निकालना बंद कर देना चाहिए. समय-समय पर थनों को खाली करते रहें. जिससे थनैला रोग होने की संभावना कम होगी और अगले ब्यांत में उत्पादन भी बढ़ जाता है. इसके अतिरिक्त उसे लम्बी दूरी तक पैदल नहीं चलाना चाहिए. पशु के गर्भधारण की तिथि व उसके अनुसार प्रसव की अनुमानित तिथि को घर के कैलेण्डर में प्रमुखता से लिख कर रखना चाहिए. ग्याभिन पशु को उचित मात्रा में सूर्य का प्रकाश मिल सके इसका अवश्य ध्यान रखना चाहिए. सूरज की रोशनी से पशु के शरीर में विटामिन डी बनता है जो कैल्शियम के संग्रहण में सहायक है जिससे पशु को ब्याने के बाद दुग्ध ज्वर बचाया जा सकता है. गर्भावस्था के अंतिम माह में पशु चिकित्सक से विटामिन ई व सिलेनियम का टीका लगवाना चाहिए.

पूंछ उठाए तो समझ लें ब्याने के लिए तैयार है पशुः इतना ही नहीं पशु के ब्याने के लक्षण भी पशुपालक भाइयों को पता होने चाहिए जो इस प्रकार है. पशु का बार-बार पूंछ का ऊपर उठाना. पशु का बार-बार उठना बैठना और पशु का दूसरे पशुओं से अलग हो जाना. थनों का दूध का टपकना या थनों का सख्त हो जाना. पशु का कम चारा खाना या कुछ समय के लिए चारे का सेवन कम करना. पशु के जननांग में तरल पदार्थ का रिसाव होना और पुट्ठे टूटना यानि की पूंछ के आस पास मांसपेशियों का ढिला हो जाना.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

पशुपालन

Animal Husbandry News: प्रदेश की हर ग्राम पंचायत में खुलेगा पशु चिकित्सालय: पशुपालन मंत्री

पशुपालन अब स्टार्टअप के रूप में उभरकर सामने आ रहा है, जिसकी...

पशुपालन

Animal News: पशु-पक्षियों के लिए करें पानी का इंतजाम, बस इस छोटे से काम से बच जाएगी उनकी जान

पशु पक्षियों के पीने के पानी की व्यवस्था को लेकर एक जागरूकता...

Animal Husbandry,Kashmir Sheep,Sheep
पशुपालन

Animal News: बनाई गईं 191 चेक पोस्ट, सड़क पर उतरी फोर्स, आ रहे हैं भेड़ों के झुंड

मुख्य सचिव शुक्रवार को शासन सचिवालय में भेड़ पलायन वर्ष 2025-26 की...