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Animal Husbandry: बेमौसम बारिश में पशुओं को हो जाता है लंगड़ा बुखार, यहां पढ़ें क्या है इलाज

सीता नगर के पास 515 एकड़ जमीन में यह बड़ी गौशाला बनाई जा रही है. यहां बीस हजार गायों को रखने की व्यवस्था होगी. निराश्रित गोवंश की समस्या सभी जिलों में है इसको दूर करने के प्रयास किया जा रहे हैं.
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. पशुपालन करने वाले किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या बेमौसम होने वाली बारिश में पशुओं को होने वाली बीमारी है. खासतौर दुधारू पशुओं को कई बार ऐसी बीमारियां लग जाती हैं, जिसकी वजह से उनकी मौत हो जाती है. जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पशु पालक को कितना बड़ा नुकसान होता होगा. इस सीजन में खासतौर से लंगड़ा बुखार भी इस तरह की एक बीमारी है जो पशुओं को बे मौसम बारिश की वजह से होती है. ये बीमारी बहुत ही खतरनाक और जानलेवा होती है.

लंगड़ा बुखार की बात करें तो यह बे मौसम होने वाली बीमारी है. बारिश के दिनों में मिट्टी के जरिए होती है. इस रोग के पीछे का कारण मिट्टी में पैदा होने वाला जीवाणु है. इस संक्रमण को क्लोस्ट्रीडियम चौवाई कहा जाता है. खतरनाक बात ये है कि ये काफी वक्त तक मिट्टी में जीवित रह सकते हैं और गीली मिट्टी की वजह से पशुओं में किसी भी घाव के जरिए फैलते हैं. आमतौर पर ये रोग 6 से 24 महीने की उम्र के मवेशियों में होता है.

यहां पढ़ें इस बीमारी के लक्षण
पशु को जब लंगड़ा बुखार हो जाता है तो उसके शरीर का तापमान 107 डिग्री तक पहुंच जाता है. इस दौरान पशु खाना-पीना बिल्कुल ही छोड़ देता है. वहीं पशुओं के अगले या पिछले पैरों में सूजन आ जाती है. जिसकी वजह से यह लंगड़ाकर चलने लगते हैं. यही वजह है कि इसे लंगड़ा बुखार भी कहा जाता है. पशु के पैरों में बहुत ज्यादा दर्द भी होता है. वहीं लंगड़ा बुखार होने के बाद कई बार पशुओं की दो या तीन दिन बाद मौत हो जाती है.

कैसे किया जाए इलाज
लंगड़ा बुखार एक ऐसा रोग है, जिसके होने की वजह पशुओं को नुकसान होता है. इसका उपचार करना थोड़ा मुश्किल भी है. एक्सपर्ट कहते हैं कि पशु पलकों के पास इस रोग से पशुओं को बचाना ही सबसे बढ़िया विकल्प होता है. इसके अलावा अगर पशु को रोग हो जाता है तो सूजन अधिक हो जाती है. ऐसे में पशुओं को चीरा लगाकर राहत दिलाई जा सकती है. इसके अलावा कई बार पशुओं को कुछ दवाई भी दी जाती है. ताकि उन्हें दर्द से राहत मिले और इस रोग से छुटकारा मिले. हालांकि इससे बचने का सबसे बेहतर उपाय यह है कि इस रोग को लग नहीं ना दिया जाए.

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