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Fish Farming: मछली पालन में एंटीबायोक्टिक्स का क्या है फायदा और नुकसान, जानें यहां

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मछली पालन की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. मछली पालन में भी एंटीबायोटिक का इस्तेमाल किया जाता है. अब सवाल ये है कि इसका फायदा होता है या फिर नुकसान. एक्सपर्ट का कहना है कि एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल मुख्य रूप से उनके आहार (मेडिकेटेड फीड) के माध्यम से किया जाता है. इसके अलावा एंटीबायोटिक्स का इंजेक्शन और एंटीबायोटिक से उपचारित पानी में रखने के रूप में भी इस्तेमाल होता है. ज्यादातर समय एंटीबायोटिक्स बचे हुए आहार या मल से निकलकर तलछटी में समा जाते हैं. ये अवशिष्ट (Remaining) एंटीबायोटिक्स तलछटी के माइक्रोफ्लोरा की स्ट्रक्चर को बदलते हैं और इससे एंटीबायोटिक दवाओं की रोक शुरू होती है.

फिश एक्सपर्ट गुलगुल सिंह और बलवीर सिंह का कहना है कि आजकल सीवेज, कृषि और इंडस्ट्रीयल वेस्ट से प्रदूषित साफ पानी सहित समुद्री और मीठे पानी में एंटीबायोटिक्स प्रतिरोधी बैक्टीरिया बहुत पाये जाते हैं. इस पानी को अच्छी तरह से रिसाइकिल करने के बाद इसका इस्तेमाल मछली फार्मों और हैचरी में किया जाता है.

माना गया है बेहद ही नुकसानदेह
एक्सपर्ट के मुताबिक प्रदूषित पानी के आखिरी उपचार के बावजूद, इसमें एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया की मात्रा एकदम से खत्म नहीं होती है. संपर्क में आने पर यह एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया मछली फार्मों और हैचरी में सामान्य माइक्रोफ्लोरा को बदल देता है, जो मछली के स्वास्थ्य के लिए बेहद ही नुकसानदेह माना गया है. ऑक्सीटेट्रासाइक्लिन, मछली फार्मों और हैचरी में सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली एंटीबायोटिक दवाओं में से एक है. यह मछली के इंटेस्टाइनल ट्रैक्ट के माध्यम से अवशोषित होती है. इसे 10-15 दिनों के लिए प्रतिदिन 100-150 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम मछली की उच्च खुराक दर पर दिया जाता है. इस उपचार के बाद इस एंटीबायोटिक का बड़ी मात्रा में धीमी गति से उत्सर्जन होता है. इससे आंत में ऑक्सीटेट्रासाइक्लीन-प्रतिरोधी बैक्टीरिया की उपस्थिति होने की आशंका बढ़ जाती है.

फायदा भी है नुकसान भी
मछलीपालन में एंटीबायोटिक दवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला के इस्तेमाल से बैक्टीरिया संक्रमण को रोकने पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, पर इसके ज्यादा उपयोग से जुड़े कुछ नुकसान भी मछली और पर्यावरण दोनों को प्रभावित करते हैं. मछली उत्पादों में दवा के अवशेषों की उपस्थिति बढ़ने का कारण एंटीबायोटिक्स का जरूरत से ज्यादा उपयोग है. इन उत्पादों का बाजार में व्यावसायीकरण किया जाता है जो आगे मनुष्य द्वारा उपभोग किए जाते हैं. इंसानों द्वारा इन एंटीबायोटिक दवाओं के इनजिबल तरीके से शरीर में बैरियर पैदा हो जाता है. इससे एलर्जी और टॉक्सिटी हो सकती है. इस प्रकार एंटीबायोटिक खाने पर पिछली जानकारी की कमी का कारण पता लगाना और इलाज करना मुश्किल हो जाता है.

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