नई दिल्ली. पशु पालक डेयरी फार्मिंग मुनाफा कमाने के लिए ही करते हैं, लेकिन यदि वो फायदा उठाना चाहते हैं तो उनको पशुओं में आने वाली हीट की सही पहचान होनी चाहिए. उसकी सही समय में पहचान करने पर पशुपालकों को जहां फायदा होगा तो वहीं पहचान नहीं कर पाने की स्थिति में नुकसान उठाना होगा. सभी पशुपालक जानते ही होंगे कि जो गैर गर्भवती गाय या भैंस होती है, उसमें आने वाली हिट तकरीबन 21 दिन में आ जाती है. अगर पशु को सफल गर्भधारण करवाना है तो हिट आने के कुछ घंटे के बाद उसका कृत्रिम गर्भधारण या एआई कराया जाना चाहिए.
फिर करना होता है 21 दिनों का इंतजार
भाकृअनुप-एनडीआरआई, करनाल की वैज्ञानिक डॉ. गुंजन भंडारी कहती हैं कि पशुओं में सुबह के वक्त हीट के लक्षण दिखाई दें तो दोपहर तक एआई कर देना चाहिए. जबकि शाम के वक्त हीट के लक्षण दिखाई दे तो सुबह तक गर्भधारण करा देना चाहिए. क्योंकि सफल गर्भधारण के लिए सही समय पर एआई करना बहुत जरूरी होता है. एआई सही समय पर करने के लिए हीट के लक्षण होने बहुत जरूरी हैं और उसकी पहचान करना जरूरी है. अगर हमें हिट के लक्षणों का पता नहीं लगता है तो एआाई के लिए हमें 21 दिन का इंतजार करना पड़ता है. तमाम पशुपालक जानते हैं कि गाय हो या भैंस इसके दो मुख्य उत्पाद होते हैं. एक उससे मिलने वाला दूध और दूसरा उसका बच्चा.
इस स्थिति में होता है दोहरा नुकसान
इन दोनों के लिए सफल प्रजनन होना बहुत जरूरी है. अगर हम समय पर हीट के लक्षणों की पहचान नहीं करते हैं और सही तरीके से नहीं कर पाते तो पशु सफल रूप से गर्भधारण नहीं करेगा. इससे ब्यांत का अंतराल भी बढ़ जाता है. ब्यांत का अंतराल बढ़ जाने से नुकसान होता है. एक तो इससे कम बच्चे मिलेंगे और दूध का उत्पादन भी कम हो जाता है. अगर आप एक भी हीट को पहचानने से चूक जाते हैं तो 21 दिन के उत्पादन की क्षति हो जाती है. हीट पहचान नहीं कर पाते हैं तो इससे आपको दोहरा नुकसान झेलना पड़ता है. एक तो आपको प्रोडक्शन नहीं मिलेगा जबकि आपको अपने पशुओं को चारा खिलाना ही पड़ेगा और उसकी देखभाल करने के लिए लेबर खर्च भी आएगा. यदि बिना हीट के लक्षणों की पहचान के ही एआई कर दिया जाए तो ऐसी स्थिति में ऐसे में आपके पशुओं की गर्भधारण की संभावना बहुत कम रह जाती है.
सही पहचान होने पर होगा फायदा
बिना हिट के लक्षणों के एआई कराने जो खर्च होगा वो अतिरिक्त खर्च में आ जाएगा. जबकि पशु भी गर्भधारण नहीं करेगा. जबकि आपको बार-बार एआई करना पड़ेगा. अगर हीट की सही समय पर पहचान न हो और एआई कराया जाए ऐसी स्थिति में पशु पर ढाई सौ से 300 रुपये तक का खर्च आता है. जिसका नुकसान पशुपालक को होता है. कई बार अप्रत्यक्ष रूप से होने वाले इन नुकसानों को लेकर के पशुपालक जागरुक नहीं होते लेकिन कहीं न कहीं उन्हें इसका नुकसान उठाना पड़ता है. डेयरी से जो उन्हें फायदा मिलने वाला है, उसको झटका लगता है. यदि सही समय पर हीट की जांच हो जाए और तब एआई कराया तो इससे पशुपालकों को फायदा होगा.
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