Home पशुपालन Animal Husbandry: इस वजह से गर्भधारण नहीं कर पाते हैं पशु, दूध उत्पादन भी हो जाता है कम
पशुपालन

Animal Husbandry: इस वजह से गर्भधारण नहीं कर पाते हैं पशु, दूध उत्पादन भी हो जाता है कम

पशु को पानी से भरे गड्ढे में रखना चाहिए या पूरे शरीर को ठंडा पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए. शरीर के तापमान को कम करने वाली औषधि का प्रयोग भी कर सकते हैं.
पानी में खड़ी भैंसों की तस्वीर.

नई दिल्ली. पशुपालनन में बढ़ते तापमान का असर कई स्तर पर होता है. इसके चलते पशुओं के प्रोडक्शन से लेकर सेहत तक पर असर दिखाई देता है. सेहत पर इफेक्ट पड़ने के कारण पशुओं को बीमारी लगने का भी खतरा रहता है. वहीं अगर प्रजनन की बात की जाए तो गर्भधारण भी नहीं हो पाता है. इन सब चीजों का नुकसान पशुपालकों को उठाना पड़ता है. नतीजतन डेयरी व्यवसाय का काम करने वाले लोगों को बहुत ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है. एक्सपर्ट का कहना है कि इसलिए जरूरी है कि हर पशुपालक को इस बात की जानकारी हो कि बढ़ते तापमान का पशुपालन पर क्या इफेक्ट पड़ता है.

राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केन्द्र, मुरैना के सत्येन्द्र पाल सिंह का कहना है कि तापमान के बढ़ने पर पशुओं की शारीरिक प्रतिक्रियाओं में इजाफा होता है. जिससे सबसे ज्यादा कार्डियोपल्मोनरी और उसकी तीव्रता की क्षमता प्रभावित होती है. पशुओं के शरीर को और अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ती है. ऐसे में पशुओं को बेहतर हवा आने वाले हवादार-छायादार स्थान पर रखना चाहिए.

प्रजनन में क्या आती है दिक्कत
थर्मल स्ट्रेस के कारण भारतीय पशुधन विशेषकर गाय और भैंस में दूध उत्पादन में गिरावट देखी जाती है. पशु के गर्मी में नहीं आते हैं. गर्मी के लक्षण भी जाहिर नहीं होते हैं. इस वजह से गर्भधारण नहीं हो पाता है. भैस बढ़ते तापमान के प्रति बहुत ही ज्यादा संवेदनशील है. गर्मियों के दिनों में भैंस की बहुत कम प्रजनन क्षमता रह जाती है. इससे गर्भधारण की क्षमता कम होती है. पशु साइलेंट हीट प्रर्दशित करता है, जिससे गर्भधारण में भारी गिरावट आने, शुष्क काल का समय बढ़ने के साथ ही बच्चा पैदा करने का गैप बढ़ता चला जाता है. इसके कारण डेयरी पशुओं का प्रजनन चक्र बुरी तरह से प्रभावित होता है. जलवायु परिवर्तन की वजह से आगे भी तापमान में वृद्धि जारी रही तो भैस के अलावा अन्य पशुओं की प्रजातियों में साइलेंट हीट, छोटा मदकाल और प्रजनन क्षमता में ओर अधिक गिरावट आती है.

पशुओं को रहता है बीमारी का खतरा
एनिएम एक्सपर्ट सत्येंद्र पाल सिंह का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण पशु रोगों में भी वृद्धि देखी जा रही है. सामान्य तापमान की कंडीशन में ह्यूमिडिटी के उपयुक्त होने पर कई प्रकार के कीट, बैक्टीरिया आदि पनपते हैं, जोकि पशुओं में रोग पैदा करने का कारण बनते हैं. ज्यादा दूध उत्पादन करने वाले पशु प्रोटोजुआन रोग ट्रायीपेनोसियोसिस एवं बेबीसिएसिस जैसे बीमारी की चपेट में आ जाते हैं. वहीं आरपी छोटे एवं बड़े पशुओं को प्रभावित करती है. इसी प्रकार से बैक्टीरिया द्वारा फैलने वाले रोग थनैला और खुरपका-मुंहपका भी डेयरी पशुओं पर बुरा प्रभाव डालती है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Animal Husbandry: Milk animals can become sick in extreme cold, adopt these methods to protect them from diseases.
पशुपालन

Animal Husbandry News: पशुपालन को मिला कृषि का दर्जा, पशुपालकों को मिलेंगे ये बड़े फायदे

चिकन की डिमांड पूरी करने के लिए 25 हजार ब्रॉयलर, मुर्गी अंडे...

ppr disease in goat
पशुपालन

Goat: बकरियों को चारा उपलब्ध कराने में आती हैं ये रुकावटें, पढ़ें यहां

बताया कि बकरियाँ सामान्यत बेकार पड़ी जमीन, सड़क के किनारे नदी व...

langda bukhar kya hota hai
पशुपालन

Animal Husbandry: पशुओं की बरसात में देखभाल कैसे करें, यहां पढ़ें एक्सपर्ट की सलाह

डेयरी फार्म में पशुओं के मल-मूत्र की निकासी का भी उचित प्रबंधन...