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Milk Production: इस वजह से भैंस का उत्पादन हो जाता है कम, शरीर भी हो जाता है कमजोर

दुधारू पशु ब्याने के संकेत देते हैं. गर्भनाल जेर का निष्कासन ब्याने के तीन से 8 घंटे बाद होता है.
भैंस की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. पशुपालन में फायदा ज्यादा तभी होता है जब पशुओं का ठीक ढंग से ख्याल रखा जाता है. अगर पशुओं का ख्याल सही तरीके से न किया जाए तो फिर इसका फायदा नहीं नुकसान होने लग जाता है. खासतौर पर गर्मी में भैंस को ज्यादा केयर की जरूरत होती है. अन्य पशुओं के मुकाबले भैंस को गर्मी में ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. नतीजे में उत्पादन कम हो जाता है और भैंस कमजोर भी होने लग जाती हैं. एक्सपर्ट के मुताबिक भैंसों में खराब थर्मोरेगुलेटरी सिस्टम होता है और विशेष रूप से गर्मियों में गर्म जलवायु के कारण बहुत संवेदनशील हो जाती हैं.

भैंस अपने काले शरीर के रंग के कारण मवेशियों की तुलना में सूरज की तपिश को लेकर अधिक संवेदनशील होती है. उसका शरीर गर्मी को ज्यादा सहन नहीं कर पाता है. स्किन में पसीने की ग्रंथियों की अपेक्षाकृत कम संख्या, और त्वचा की मोटी एपिडर्मल परत के कारण भैंस को गर्मी से ज्यादा नुकसान होता है. वहीं गर्मी का तनाव जानवरों की होमोथर्मी को बनाए रखने के लिए पर्याप्त गर्मी को खत्म नहीं कर पाता है.

तनाव से बचाने के लिए करें ये उपाय
हाई एयर तापमान, हाई ह्यूमिडिटी, थर्मल रेडिएशन, आदि की वजह से भैंस को गर्मी ज्यादा लगती है. शरीर का तापमान, नाड़ी दर और सांस लेने में दिक्कत होती है. जिसके चलते भैंस को तनाव हो जाता है. ज्यादा गर्म जलवायु के दौरान भैंसों को उचित आश्रय और नियंत्रित वातावरण प्रदान करने की जरूरत होती है. ताकि उन्हें ज्यादा गर्मी की वजह से होने वाले तनाव से बचाया जा सके और प्रोडक्शन पर असर न पड़े. एक्सपर्ट का ये भी कहना है कि ज्यादा गर्मी वजह भैंसों की शारीरिक प्रतिक्रिया बढ़ जाती है. यदि उन्हें आरामदायक आश्रय, और ठंडक नहीं दी जाती है तो उनके चारे का सेवन कम हो सकता है. जिसके कारण ग्रोथ भी रुक जाती है. शरीर के वजन में कमी और दूध उत्पादन में गिरावट आ सकती है.

ये करें तो बछियों की होगी ग्रोथ
गर्मी के मौसम में रात के समय हरा चारा खिलाने से बछिया में ग्रोथ और भैंसों में दूध उत्पादन में वृद्धि होती है. क्योंकि जानवर खाने में अधिक समय बिताते हैं और अधिक सूखे पदार्थ का सेवन करते हैं. पशुओं के आराम क्षेत्र के दोनों ओर 8 डिग्री से 10 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान में बदलाव दूध उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है. इसलिए, भैंसों के उत्पादन और प्रजनन प्रदर्शन में सुधार के लिए, थर्मल आराम प्रदान करने के लिए उपयुक्त आश्रय प्रबंधन आवश्यक आवश्यकता होती है और इसका असर भी पॉजिटिव होता है.

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