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Beekeeping: इस तरह करें मधुमक्खी पालन, एक साल में होगा 4 लाख रुपये का मुनाफा, हाथों-हाथ बिकेगा शहद

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. मधुमक्खी पालन बहुत ही फायदेमंद काम है. मधुमक्खी से हासिल शहद को बेचकर अच्छी खासी कमाई की जा सकती है. अगर मधुमक्खी पालन के दौरान उत्पादित शहद में मेडिसिन वैल्यू हो तो किसानों को इसका और ज्यादा फायदा मिलता है. क्योंकि बाजार में इसका दाम भी ज्यादा मिलता है. इसकी ही एक बानगी देखने को मिली है, जब रोहतक के 70 किसानों ने हिमालय में मधुमक्खी पालन किया तो उनका मुनाफ बढ़ गया. मिसाल के तौर पर एक किसान ने 200 डिब्बे में मधुमक्खी पालन से साल भर में 4.30 लाख रुपये तक का मुनाफा कमाया है.

बता दें कि रोहतक जिले के मधुमक्खी पालन करने वाले 70 किसान हिमालय क्षेत्र में मधुमक्खी के डिब्बे लेकर गए थे. सभी किसान वहां से लौट आए हैं और इन लोगों ने शहद का प्रोडक्शन भी शुरू कर दिया है. इस क्षेत्र में मधुमक्खी पालन करने की वजह से इसकी कीमत करीब 40 फीसदी बढ़ गई है. इसलिए पर्वतीय क्षेत्र में उत्पादन करना किसानों के लिए फायदेमंद सौदा बन गया है.

डेढ़ लाख रुपये का आया खर्च
सीसर खास गांज निवासी किस्तन मोनू ने बताया कि मधुमक्खी पालन के लिए 200 डिब्बे लेकर गए थे. जहां उन्होंने एक सेब का बाग 6000 रुपये किराये पर लिया था. काम करने के लिए प्रति दिन 600 रुपये में तीन मजदूर रखे थे. इसमें 1 साल के दौरान मधुमक्खी पालन से 6 लाख तक उन्होंने कमाये. जबकि इसमें कुल खर्च लगभग डेढ़ लाख रुपये का हुआ. शहद का दाम 200 प्रति किलो उन्हें मिला है. उन्होंने कृषी विज्ञान केंद्र से मधुमक्खी पालन के लिए 5 दिन की ट्रेनिंग भी ली थी. दरअसल, आयुर्वेदिक दवा बनाने के लिए शहद की मांग ज्यादा होती है. मोनू ने बताया कि शहद की अधिक डिमांड की वजह से उन्हें दाम भी अच्छा मिलता है. वहीं शहद की लगातार डिमांड भी बनी रहती है. लोग ज्यादा मोल भाव भी नहीं करते हैं. इसलिए बेहतर उत्पादन के लिए यह तरीका अपनाया जा सकता है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट
इस संबंध में कृषि विज्ञान केंद्र रोहतक के कीट वैज्ञानिक डॉ. रामकरण कहते हैं कि आसपास के क्षेत्र में मधुमक्खी सरसों और अन्य फूलों से ही शहद का उत्पादन ज्यादा करती है. इसमें अधिक औषधि गुण नहीं होते हैं. जबकि पर्वतीय क्षेत्र में उत्पादित शहद में औषधि वैल्यू ज्यादा होती है. दरअसल, वहां की जड़ी बूटियां में मेडिसिन वैल्यू भी ज्यादा होती है. जब मधुमक्खी से शहद का उत्पादन करती है तो उनके साथ जड़ी बूटियों के गुण भी शहद में आ जाते हैं, जो शहद को मेडिसिन वैल्यू वाला बना देते हैं. इससे शहद की क्वालिटी अच्छी हो जाती है. उसमें मेडिसिन वैल्यू बढ़ जाती है. ऐसे भी हर जगह की मधुमक्खी का शहद चिकित्सा के लिए एंटीबायोटिक गुणों का वाला माना भी जाता है.

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