नई दिल्ली. डेयरी व्यवसाय करने वाले तमाम पशुपालक भाई ये जानते हैं कि अगर पशु दूध का उत्पादन कम कर दे तो फिर डेयरी व्यवसाय में नुकसान होने लगता है. कभी भी, कोई भी पशुपालक नहीं चाहेगा कि पशु का दूध उत्पादन कम हो जाए. हालांकि कई बार मौसम की वजह से भी दूध के उत्पादन पर असर पड़ता है. मसलन गर्मी के दिनों में भैंस का दूध उत्पादन कम हो जाता है. वहीं ठंड में भी यही हाल होता है. ठंड में भी भैंस के दूध उतपादन पर असर पड़ता है. जिसके लिए कुछ जरूरी उपाय किये जा सकते हैं. जिससे दूध उत्पादन कम नहीं होगा. आइए इस बारे में जानते हैं.
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि दूध उत्पादन तापमान में अचानक बदलाव, या तो गर्मियों के दौरान अधिकतम तापमान में वृद्धि यानी लू या सर्दियों के दौरान न्यूनतम तापमान में गिरावट यानी शीत लहर की वजह से होता है. इन दोनों ही स्थिति में भैंसों की दूध पैदावार में गिरावट का प्रमुख कारण है. गर्मियों के दौरान अधिकतम तापमान में वृद्धि सामान्य से 4 डिग्री सेल्सियस अधिक होने पर और सर्दियों के दौरान अधिकतम तापमान में गिरावट सामान्य से 3 डिग्री सेल्सियस तक कम होने पर दोनों में ही दूध उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं.
कितना परसेंट दूध उत्पादन में होती है कमी
एक्सपर्ट के मुताबिक दूध के उत्पादन में गिरावट पहले ब्यात में 10-20 फीसद और दूसरे और तीसरे ब्यात में 5-15 फीसद तक हो सकती है. दूध की पैदावार में गिरावट की सीमा देर से या शुरुआती चरण की तुलना में मध्य ब्यात चरण में कम होती है. भैंसों के दूध उत्पादन पर शीत लहर या लू का नकारात्मक प्रभाव न केवल चरम मौसमी घटना के अगले दिन बल्कि उसके बाद के दिनों में भी देखा जाता है. जिससे यह संकेत मिलता है कि लू और शीत लहरें दूध की उपज और उत्पादन पर कम और ज्यादा समय के लिए असर डालती है. भैंसों के दूध देने की अवस्था के आधार पर, लू या शीत लहर के बाद सामान्य दूध उत्पादन में वापसी में आमतौर 2-5 दिन लग सकते हैं.
दूध उत्पादन कम होने पर क्या करें
ठंड के समय भैंस के दूध का उत्पादन कम होने पर पशुओं को संतुलित आहार देना चाहिए. कोशिश करें कि हरे चारे के साथ-साथ भूसा, दाना, खल, चापड़, खनिज लवण, और नमक भी फीड में शामिल कर दें. पशुओं को 2 किलो दूध पर 1 किलो सांद्र आहार देना बेहतर होता है. वहीं पशुओं को प्रोटीन के लिए कपास, मूंगफली, तिल या सरसों की खल देने से फायदा मिलेगा. ठंड के समय में पशुओं को लोबिया घास खिलाने से दूध उत्पादन बढ़ जाता है. पशुओं को रात के समय में भीगा दाना नहीं खिलाना चाहिए. वहीं दिन में कम से कम 3-4 बार साफ पानी पिलाना चाहिए. पशुओं को मोटा कपड़ा पहनाना चाहिए. पशुओं को ओस और ठंड से बचाना चाहिए. पशुओं को हवा रोकने के लिए फूस के झोंके बनाएं. पशुओं को गर्म रहने के लिए सूखा बिस्तर उपलब्ध कराना चाहिए.
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