नई दिल्ली. इंसानों की हैल्थ के लिए औषधीय गुणों से भरपूर ऊंटनी के दूध की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है. इसका प्रचार विश्व भर में हो रहा है, ऐसे में तय है कि उसके गुणों और उत्पादन दोनों पर जोर दिया जाए. भारत में ऊंट को पश्चिमी राजस्थान एवं गुजरात में वजन उठाने एवं मांगलिक कार्यों के लिए मुख्य रूप से किया जाता है लेकिन अब कामर्शियल दूध उत्पादन के महत्त्व को देखते हुए ऊंट पालकों को संगठित करने के प्रयास लगातार जारी हैं ताकि दूध उत्पादन को गति मिल सके. ऐसे में जरूरी है कि ऊंटनी से दूध उत्पादन को कामर्शियल तौर पर देखा जाए. ताकि इंसानों की हैल्थ और उसकी पर्यटन से जुड़ी मांग जैसे दूध से निर्मित उत्पादों को पूरा किया जा सके.
गौरतलब है कि ऊंट प्रजाति की संख्या घटती जा रही है, इसके लिए यह जरूरी होगा कि दूध उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जाए. ताकि आने वाले समय में कामर्शियल ऊंट डेयरी के लिए किन मुख्य संसाधनों एवं तकनीकों की आवश्यकता होने पर उनमें सुधार किया जा सके. आजीविका के लिए ऊंट का इस्तेमाल डेयरी आधारित व्यवसाय और इनोवेशन के तौर पर संभव है. ऊंटनी के दूध उत्पादन से जुड़े विषयों को गम्भीरता से लेने की आवश्यकता है ताकि हर उस स्थिति को नियंत्रित किया जा सके जिससे दूध उत्पादन घट सकता है.
कई कामों में इस्तेमाल होता है ऊंट
एक्सपर्ट का कहना है कि ऊंट कई अनूठी क्षमताओं और विशेषताओं वाला जानवर है. इससे दूध लिया जा सकता है, सवारी, सामान भी उठवाया जा सकता है. वहीं हल चलाने के लिए भी इसका इस्तेमाल हो सकता है. इसके अलावा अन्य महत्त्वपूर्ण कृषि कार्यों के लिए उपयोग में लिया जा सकता है. इसके माध्यम से व्यापार भी किया जाता है. चिड़ियाघर में भी इसे देखने के लिए रखा जा सकता है. वहीं पर्यटन से जुड़े कई कामों के लिए भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है. सबसे अहम ये है कि आज यह इंसानों के लिए एक बेहद महत्त्वपूर्ण पेय (दूध) प्रदान करता है जो अमृत साबित हो रहा है. जरूरत बस इस बात की है कि पशु की उत्पादन क्षमता बढ़ाई जा सके. ताकि इंसानों को इसके दूध से फायदा हो सके.
इस तरह बढ़ा सकते हैं दूध उत्पादन
ऊंटों में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए ऊंची उत्पादकता से सम्बन्धित सभी पहलुओं में पहल करने की जरूरत है. गर्भ के दौरान तथा स्तनपान के शुरुआती चरणों में खिलाकर और उच्च उत्पादन को बनाए रखने के लिए मध्य और बाद के चरणों में देखभाल करके उत्पादन क्षमता बढ़ाने की जरूरत है. इसके अलावा पुराने अनुभवों के जरिए से ज्यादा उत्पादन के लिए पशु का चयन झुंड की उत्पादन क्षमता में सुधार का रास्ता दिखाएगा. उपयुक्त आश्रय, पानी, क्वालिटी से भरपूर भोजन की उपलब्धता तनाव को रोकने और दूध उत्पादन में सुधार करने में मदद करेंगे.
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