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Fisheries: 18 सौ ग्राम की हो गई 12 सौ ग्राम वाली कतला मछली, जानें कैसे

fish farming in pond
तालाब में मछलियों की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. मछली पालन करने वाले लोगों के लिए गुड न्यूज है. दरअसल, केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी तथा पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ​​ललन सिंह ने भुवनेश्वर स्थित आईसीएआर-केंद्रीय मीठे जल मत्स्य पालन संस्थान (आईसीएआर-सीआईएफए) में कैटला (लेबियो कैटला) की आनुवंशिक रूप से उन्नत किस्म “अमृत कतला” की शुरुआत कर दी है. इस कतला मछली की खासियत ये है कि पहले इसका वजन 12 सौ ग्राम होता था, लेकिन अब ये 18 सौ ग्राम हो गया है. बताते चलें राष्ट्रीय मत्स्यपालन विकास बोर्ड (एनएफडीबी) के राष्ट्रीय मीठे जल मत्स्य ब्रूड बैंक (एनएफएफबीबी) ने ये कामयाबी हासिल की है.

देश भर के किसानों के लिए इसको बांटा गया है. अधिकारियों ने बताया कि यह विकास मीठे पानी मछली पालन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और भारत के बढ़ते मछली पालन समुदाय के लिए मछली बीज की गुणवत्ता बढ़ाने के साधन के मुताबिक है.

इस तरह मिली कामयाबी
आईसीएआर-सीआईएफए ने हाई क्वालिटी वाली मछली बीज की जरूरत के बारे में बताते हुए कहा कि फसल के समय कतला के शरीर के वजन में सुधार करने के लिए 2010 में एक चयनात्मक प्रजनन कार्यक्रम शुरू किया गया है. कार्यक्रम ने पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश से प्राप्त कैटला के नौ स्ट्रेन को एकत्र किया. इन स्ट्रेन का इस्तेमाल चयनात्मक प्रजनन कार्यक्रम के लिए आधार आबादी के रूप में किया गया है. संयुक्त परिवार चयन विधि के माध्यम से, प्रजनन प्रक्रिया को फेनोटाइपिक जानकारी और माइक्रोसैटेलाइट मार्करों द्वारा निर्देशित किया गया था. प्रजनन मूल्य के आधार पर बेहतर जानवरों का चयन किया गया और प्रजनन की चार पीढ़ियों के बाद, प्रति पीढ़ी 15 फीसदी आनुवंशिक सफलता हासिल की गई है. जिस वजह से तीसरी पीढ़ी तक 35 फीसदी की संचयी ग्रोथ मिली.

ताकि मिले बेहतरीन क्वालिटी बीज
वहीं ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम और महाराष्ट्र में किए गए फील्ड परीक्षणों ने एक वर्ष में स्थानीय स्ट्रेन के लिए 1.2 किलोग्राम की तुलना में पॉलीकल्चर सिस्टम में 1.8 किलोग्राम के औसत वजन तक पहुंचने की बेहतर कतला की क्षमता का प्रदर्शन किया. हाल ही में, “अमृत कतला” परियोजना को 16 जुलाई, 2024 को 96वें आईसीएआर स्थापना और टेक्नोलॉजी डे पर बेस्ट टेक्नोलॉजी पुरस्कार के साथ राष्ट्रीय मान्यता मिली और 1 अगस्त, 2024 को आधिकारिक तौर पर “सीआईएफए-अमृत कतला” के रूप में ट्रेडमार्क किया गया. वहीं राजीव रंजन सिंह ने कहा था कि अनुसंधान पहलों को बढ़ाने के लिए मंत्रालय की कमिटमेंट पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि मंत्रालय मत्स्य पालन क्षेत्र में अनुसंधान प्रयासों के लिए जरूरी मदद करेगा. ताकि सतत ग्रोथ और प्रोडक्शन में इजाफा हो सके. उन्होंने यह भी बताया कि मंत्रालय ने हाल ही में ICAR-CIFA को मीठे पानी की मछलियों के लिए न्यूक्लियस ब्रीडिंग सेंटर घोषित किया है, जिससे भारत में हाई क्वालिटी वाले मछली बीज के विकास में इसकी भूमिका और मजबूत होगी.

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