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जैसलमेर-बाड़मेर में चल रहा ओरण बचाओ आंदोलन, चुनाव से पहले लोगों ने पीएम मोदी से भी कर दी ये मांग

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प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. इन दिनों लोकसभा चुनाव-2024 का चुनाव प्रचार जोरों पर है. ऐसे में कांग्रेस-भाजपा सहित सभी दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है. 2019 के चुनाव में भाजपा ने 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस बार भी भाजपा यही चाहती है कि सभी सीटों पर दर्ज करे लेकिन जैसलमेर सहित कई ऐसी सीटें जहां पर भाजपा को कड़ी टक्कर मिल रही है. यही वजह से अब मोर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संभाल रखा है. पीएम मोदी आज यानी शुक्रवार को बाड़मेर-जैसलमेर के दौरे पर हैं. जैसलमेर, बाड़मेर में ओरण, गोचार और चारागाहों की जमीनों को बचाने के लिए बड़ा आंदोलन चल रहा है. इस आंदोलन के बीच पीएम मोदी का दौरा भी है. पीएम के दौरे को लेकर जैसलमेर के लोगों ने एक भावुक अपील जारी कर ओरण की जमीन को बचाने के लिए मांग कर डाली है.

आप बाड़मेर पधार रहें है, आपका थार में स्वागत है. आप जनता से अपनी पार्टी के लिए वोट की उम्मीद रखते हैं. अपनी सरकार की पिछली दस साल की उपलब्धियां गिनवाएंगे. भविष्य में पार्टी देश हित में क्या करना चाहती है वो समझाएंगे, अच्छी बात है. बेशक आपकी सरकार ने देश में बहुत कुछ अच्छा किया है लेकिन यह अच्छे कार्य राष्ट्रीय स्तर के है. ग्राम स्तर पर न के बराबर कार्य हुए हैं. खास कर ग्राम स्तर के मूल मुद्दों को पिछले कई सालों से कोई अहमियत नही दी गई है. चाहे केंद्र और राज्य में भाजपा का राज हो या कोंग्रेस का. कोंग्रेस की कमियों को ही देखते हुए देश के गरीब, किसान, मजदूर, पशुपालकों ने आपका साथ देकर भाजपा को चुना, लेकिन गांव-गरीब के मूल मुद्दों पर आज तक किसी ने गौर नही किया. केवल केंद्र की योजनाओं का बखान कर वोट बटोरने का प्रयास किया गया और अभी भी यही हो रहा है.

भावुक अपील के साथ सख्त चेतावनी भी
दिल्ली में चार चांद उगते हैं उससे हम थार वालों को क्या लाभ साहब, हमें तो हमारे एक चांद के लिए भी जुंझना पड़ रहा है. या तो स्थानीय प्रतिनिधि हमारी स्थानीय वाजिब मांगों को केंद्र तक पहुंचा नही रहें या केंद्र ही स्थानीय विषय को जरूरी नही मानता. केंद्रीय पार्टियों के स्थानीय प्रतिनिधियों का इलाज तो इस बार थार का गरीब किसान-मजदूर-पशुपालक कर देगा, लेकिन अगर केंद्र में बैठा केंद्रीय नेतृत्व ही गांव के गरीब किसान-मजदूर-पशुपालक की पीड़ा समझना नहीं चाहता तो अलग बात है. चेतावनी दी है कि जिसके भविष्य में दुष्परिणाम केंद्र को भी भुगतने पड़ेंगे. भारत गांवों का देश है और गांवों पर ही जिंदा है. ऐसे में सत्ता गांवों का गला घोंटने का प्रयास करेंगी तो वो एक तरह से देश का ही गला घोंट रही है.

पशु ही हैं अजीविका का प्रमुख साधन
बात करें थार के स्थानीय बड़े व मूल मुद्दे की तो यहाँ वर्तमान में ओरण-गोचर संरक्षण को लेकर बड़े आंदोलन चल रहें हैं. यह मुद्दा लगभग राजस्थान के 30% हिस्से को प्रभावित करता है. थार के हर घर में गाय है किसी के पास एक तो किसी के पास एक से अधिक. हर गाय इन्हीं ओरण-गोचर से अपना भरण पोषण करती है. गाय के अलावा ऊंट,भेड़ एवं बकरी यहां का प्रमुख पशुधन है जिन्हें स्थानीय किसान-मजदूर-पशुपालक व्यवसायिक रूप में पालते हैं. इसलिए यहां के स्थानीय जन के पास किसी पास सैकड़ों किसी के पास हजारों की संख्या में पशुधन हैं. जिनके दूध-दही-मक्खन- घी-छाछ-ऊन-खाल और मांस के क्रय-विक्रय से स्थानीय जन को अच्छी आय होती है, उसी आय से इनके घर चलते हैं, बच्चे पलते हैं और पढ़ते हैं ताकि बच्चों का जीवन बेहतर बन सकें.

ओरण-गोचर की भूमि छोड़ किसानों से खरीदे जमीन सरकार
भूमिहीन, छोटे किसान व बिन पानी की जमीनों वाले इस क्षेत्र के किसान-मजदूर-पशुपालक का पशु इन्हीं ओरण-गोचर के चारे पर निर्भर है, जिन्हें आपकी सरकार सोलर-विंड-खनिज व केमिकल कंपनियों को बेच रही है वो भी हजारों-लाखों हेक्टर में. पीछे पशु खड़ा रखने तक कि जगह नही छोड़ी जा रही, पशु चराई की तो बात ही कहां रही. थार के इस क्षेत्र में छोटा-मोटा पशुधन तो हर घर में है साथ ही सर्वाधिक लोग पशुपालन पर ही निर्भर है. ऐसे में ओरण-गोचर जैसे चारागाहों को सरकार द्वारा सोलर-विंड-खनिज एवं केमिकल कंपनियों को बेचना किसान-मजदूर-पशुपालक के पेट पर लात मारने जैसा है. हम विकास के विरोधी नही है लेकिन क्या देश के विकास के लिए गांवों का विनाश करना न्याय संगत विकास है.

ओरण-गोचर की भूमि को मुक्त करे सरकार
पीढ़ियों से जो हमारे ओरण-गोचर हैं जो आजादी के बाद ओरण-गोचर के रूप में दर्ज नहीं हो पाए हम उन्हें ही संरक्षित करने की मांग कर रहें हैं कोई नई जमीनें नही मांग रहें. विकास करना है, सोलर-विंड-खनिज एवं केमिकल कंपनियों को जमीन देनी है तो यह सार्वजनिक जमीनें न देकर किसानों से खरीदी भी जा सकती हैं. सरकार उस ओर सोचे और ओरण-गोचर को इससे मुक्त करें. जहां हमारे थार की प्रकृति है, पर्यावरण है, मौलिकता है, वन्यजीवन है, पशुपालन है, ग्रामीण जीवन है, संस्कृति है और मानवजीवन है. अगर आपकी सरकार इस विषय पर संवेदनशील होगी तो थार की जनता भी आपके प्रति सहयोगी होगी जो सदैव रही है.

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